बिहार चुनाव नतीजों से कांग्रेस का भविष्य होगा तय

बिहार चुनाव नतीजों से कांग्रेस का भविष्य होगा तय: बिहार विधानसभा चुनाव केवल राज्य की राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ता है। इस बार के चुनाव नतीजे कांग्रेस के भविष्य की दिशा और दशा तय करेंगे। लंबे समय से कांग्रेस लगातार कमजोर होती दिखाई दी है।

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कई राज्यों में पार्टी का जनाधार खिसक चुका है और उसका संगठनात्मक ढाँचा भी चुनौती से जूझ रहा है। ऐसे में बिहार चुनाव कांग्रेस के लिए अवसर भी है और परीक्षा भी। बिहार की राजनीति जातीय समीकरणों और गठबंधनों पर आधारित रही है। यहाँ कांग्रेस कभी अपनी दमदार उपस्थिति रखती थी, लेकिन समय के साथ उसका प्रभाव कम हो गया।

अब यदि इस चुनाव में कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ बेहतर प्रदर्शन करती है, तो यह पार्टी को न केवल बिहार में बल्कि पूरे देश में नई ऊर्जा दे सकता है। इससे कार्यकतार्ओं का मनोबल भी बढ़ेगा और विपक्ष की राजनीति में कांग्रेस की पकड़ मजबूत होगी। लेकिन यदि नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं आते, तो यह पार्टी की कमजोरी को और उजागर करेगा।

संगठन की जमीनी हकीकत और नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठेंगे। युवा मतदाताओं तक पहुँच बनाने में पार्टी की असफलता और गठबंधन राजनीति में केवल सहारे पर टिके रहने की छवि और गहरी हो जाएगी। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह अपने बलबूते पर जनमानस से जुड़कर दिखाए। केवल गठबंधन की राजनीति से दीर्घकालीन अस्तित्व सुरक्षित नहीं किया जा सकता।

बिहार चुनाव का परिणाम यह बताएगा कि कांग्रेस पुनर्जीवन की ओर बढ़ रही है या फिर अपने पुराने गौरव से और दूर जा रही है। इसलिए कहा जा सकता है कि बिहार के चुनाव नतीजे कांग्रेस के भविष्य के लिए निर्णायक साबित होंगे। जीत से पार्टी को संजीवनी मिलेगी, जबकि हार एक और झटका बनकर उसके अस्तित्व की लड़ाई को और कठिन कर देगी।