नवरात्रों में ही देवियों के प्रति इतनी श्रद्धा क्यों?: आज 22 सितंबर है, आज से नवरात्रें प्रारंभ हो गए, लोगों को बेसबरी से नवरात्रों का इंतजार था। मैं अपनी बात लिखने से पहले मां शैलपुत्री को ज्योतिकण परिवार की तरफ से नमन करता हूं और सभी देश वासियों को नवरात्रों की बधाई के साथ जय माता दी।
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आज पहला नवरात्रा है हर व्यक्ति हर महिला आज अपने तरीके से नवरात्रों में पूजा करते हैं महिलाएं, पुरूष, बच्चे व्रत भी रखते हैं। यहां तक अधिकतर लोग सभी नवरात्रों पर व्रत रखते हैं।
सभी घरों में मां के भजन गूंजते हैं, मां की भेंटे गूंजती हैं, अखंड ज्योति जलती है, सुबह शाम नवरात्रों के दिनों में देवी माता की अराधना की जाती है, उनसे क्षमा याचिकाएं की जाती है, दरिद्र खत्म करने की बात की जाती है, सुख समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।
हालांकि यह तमाम चीजें देवी माता से 12 महीने 30 दिन मांग सकते हैं इसके लिए नवरात्रों की आवश्यक्ता नहीं, मां को याद करने केलिए या मां के पास जाने के लिए या अपनी मां के पास कुछ मांगने के लिए किसी विशेष दिन की जरूरत नहीं होती इसलिए मां के बारे में कहा गया मावां ठंडिया छांवा। वो चाहे देवी माता हो या जन्म देने वाली माता दोनों का रूतबा एक जैसा है।
ऐसा क्या कारण है कि नवरात्रों के दिनों में भक्तों की श्रद्धा देवियों के प्रति, कंजकों के प्रति, कन्याओं के प्रति नवरात्रों में ही क्यों बढ़ती है यह श्रद्धा तो अगर आप सच्चे सुच्चे हैं तो हमेशा अपने जीवन में उतार सकते हैं
ऐसा नहीं है कि नवरात्रों के दिनों में छोटी बच्चियां कंजक नजर आए, नवरात्रो ंके दिनों में विशेष पूजा कर मां को रिझाना समझ से परे हैं अगर आप आस्तिक हो तो भी पक्के रहो नास्थ्तिक हो तो भी पक्के रहो। मां ऐसे भक्तों को ज्यादा पसंद करती है, दिखावे को तो मां समझती है।