भादवे में बरसा कुदरत: कुदरत की माया को कोई समझ नहीं पाया और जिसने कुदरत की माया से छेड़छाड़ की, कुदरत को चुनौती दी या देने का प्रयास किया उसका नाश तय है।
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सावन में कुदरत का बरसना एक प्रक्रिया है और उस प्रक्रिया के तहत कुदरत बरसता है जिसका फायदा खेत से लेकर आम आदमी को, किसान को और कुदरत वाटर लेवल को भी मैंनटेन कर देती है लेकिन भादवे में बरसना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि कुदरत है और कुदरत का कहर और नजारा दोनों कभी भी दिखा सकता है।
सरकार, प्रशासन बाढ़ रोक थाम के उपाय करती है बचाव करती है लेकिन कुदरत एक मिनट में सरकार के उपायों और प्लानिंगों को ध्वस्त कर देता है इसलिए कहा गया है कि भगवान की लाठी बेआवाज होती है।
आज पूरा भारत बाढ़ ग्रस्त है पंजाब हो हरियाणा हो, हिमाचल हो, दिल्ली हो, यूपी हो या अन्य राज्य सभी बाढ़ की चपेट में हैं और इस कुदरत कहर में भी राजनेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेकनी बंद नहीं करते और बाढ़ में राजनीति करते हैं कभी यह भी नहीं सोचते कि जो बाढ़ का शिकार होकर घर से बेघर हो चुके हैं उनके साथ क्या बीत रही होगी बस विपक्ष सरकार पर ऊंगली उठा रहा है आरोप लगा रहा है जबकि वह भूल जाते हैं कि कुदरत के आगे सब कुछ बौना व जीरो है।