उप राष्ट्रपति के इस्तीफे का कारण 74 साल और सेहत नहीं: बीते दिन देश के उपराष्ट्रपति व बेबाक अपनी बात रखने वाले नम्रता के पुजारी जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दे दिया उनकी आयु अभी 74 साल की है और इस्तीफे में कारण अपने अस्वस्थ होने का लिखा जबकि यह दोनों ही चीजें इस्तीफे के लिए जरूरी नहीं है जगदीप धनखड़ उप राष्ट्रपति बनने से पहले पश्चित बंगाल के राज्यपाल रहे और उससे पहले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रहे और पश्चित बंगाला का राज्यपाल होते हुए जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी की सुनवाई नहीं होने दी, उनकी चलने नहीं दी।
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कानून व संविधान के ज्ञान को टिप्स पर रखने वाले मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा तो दे दिया किसके कहने से दिया, क्यों दिया इस पर अलग अलग बहस चल ही है विपक्ष ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को मुद्दा भी बना लिया है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या जगदीप धनखड़ जैसे उपराष्ट्रपति से जबरदस्ती इस्तीफा लिया जा सकता है?
समय समय पर देश की न्यायपालिका को शीशा दिखाने वाले पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा वर्तमान मोदी सरकार को आने वाले दिनों में उलझनों में डाल सकता है क्योंकि उनके इस्तीफे के बाद जाट समाज में नहीं बल्कि बुद्धिजीवियों में रोष है क्योंकि बेदाग व्यक्ति क्यों इस्तीफा दे रहा है निश्चित तौर पर इस पर बहस छिड़ेगी ही।
जगदीप धनखड़ फलदार और छायादार वृक्ष से भी ज्यादा नम्रता थी उनमें, हर व्यक्ति का सम्मान करते थे उपराष्ट्रपति बनने के बाद भी अहंकार नहीं था। वर्तमान मोदी सरकार को समय रहते जगदीप धनखड़ के कारणों पर स्पष्टीकरण देना चाहिए क्योंकि जगदीप धनखड़ की आयु भी इस्तीफे वाली नहीं थी और उनके स्वास्थ्य भी ऐसा नहीं कि वह खाट पर हों इसलिए विपक्ष को भी मोदी सरकार को संतुष्ट करना होगा।