हेल्थ पुलिस और अदालतों को बिल्कुल निष्पक्ष व ईमानदार होना होगा: वैसे तो जितने भी सरकारी दफ्तर हैं चाहे वो केंद्र सरकार के अधीन हैं या राज्य सरकारों के उनमें काम करने वाले छोटे से बड़े तमाम अधिकारियों को ईमानदार होना चाहिए क्योंकि केंद्र व राज्य सरकारें उन अधिकारियों व कर्मचारियों को मासिक वेतन के साथ साथ मेडिकल सुविधा व अन्य सुविधाएं देती है इसलिए तमाम अधिकारियों को निष्पक्ष काम करने की आदत डालनी चाहिए बिना किसी लाग लपेट के किसी स्वार्थ के उनके पास आने वाले व्यक्ति का काम करना चाहिए लेकिन देश में तीन विभाग ऐसे हैं उनमें हेल्थ, पुलिस और अदालतें।
मेयर के प्रोग्राम का बायकॉट करने वाले भाजपा पार्षद नपेंगे
एंटी नारकोटिक सेल ने भारी पुलिस बल के साथ सेठी इंक्लेव में की रेड
इन तीनों को तो निश्चित तौर पर ईमानदार होना चाहिए हेल्थ इंसान की जिंदगी का सवाल है और अगर डॉक्टर ही इंसानी जिंदगी के साथ खिलवाड़ करेंगे तो फिर कैसे किसी पर कोई विश्वास करेगा और यही कारण है कि डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। इसी तरह पुलिस, पुलिस के पास जो भी जाता है वह दुखी होता है, पीड़ित होता है उसके अधिकारों पर डाका डला होता है उसके कानूनी व संवैधानिक हक खतरे में होते हैं इसलिए पुलिस को भी बिना किसी दबाव के निष्पक्ष कार्रवाई करनी चाहिए और जिसने जितना अपराध किया
उसके खिलाफ उतनी ही कार्रवाई करनी चाहिए न कि दूसरे के साथ मिलकर पीड़ित के साथ अन्याय किया जाए और तीसरी अहम अदालते, जज। अदालतों को इंसाफ का मंदिर क्यों कहते हैं? अदालत में दोनों पक्षों को अपनी बात रखने का अधिकार होता है इसलिए अदालतों को भी बिना किसी दबाव के, बिना किसी के साथ मिले पीड़ित को न्याय देना चाहिए।
अदालत में बैठे जज इंसाफ के मंदिर का हिस्सा हैं इसलिए अदालतों को कितना ही बड़ा दबाव क्यों न आ जाए उन्हें निष्पक्ष रहना चाहिए और अगर कोई दबाव दे तो आदेशों में उस व्यक्ति का नाम लिखना चाहिए ताकि किसी भी पीड़ित के साथ अन्याय न हो और अदालत के दरवाजे पर गए हर व्यक्ति को इंसाफ मिले।