पुलिस को छोड़ सिविल प्रशासन बेलगाम: सबसे ज्यादा बदनाम पुलिस को किया जाता है, खाकी को किया जाता है जबकि खाकी रात दिन जनता की सेवा करती है लेकिन पुलिस की एक छोटी सी गलती से जनता हाय तोबा मचा देती है।
मेरा आसमान एनजीओ असीम गोयल के हारने के बाद अंबाला शहर से गायब
क्या जनता खाकी के प्रति अपनी सोच बदलेगी? यह तो पता नहीं लेकिन अंबाला शहर में नजारा कुछ अलग देखने को मिल रहा है पुलिस विभाग एक्टिव है, पुलिस विभाग दिन रात सेवा में है लेकिन अंबाला शहर का सिविल प्रशासन बेलगाम हो चुका है चाहे वह कोई भी सरकारी दफ्तर क्यों न हो हर छोटे से छोटा बाबू, बड़े से बड़ा अधिकारी मनमर्जी पर उतर आया है कोई किसी को पूछने वाला नहीं जब तक सुविधा शुल्क नहीं तब तक काम नहीं।
जब मुख्यमंत्री नायब सैनी ने शपथ ली और दूसरी बार अपने दम पर सरकार बनाई तो सारे अधिकारी एक छत के नीचे नियमित जनसमस्याएं सुनकर निवारण करते थे लेकिन अब सब कुछ बेलगाम हो चुका है अगर कहीं थोड़ी सुनवाई हो रही है तो वह पुलिस विभाग में हो रही है वरना सरकारी अधिकारी सरकारी बाबू पूरी तरह मनमर्जी कर रहे हैं जैसे उनको कोई पूछने वाला नहीं जैसे अंबाला में जंगल राज जैसी स्थिति हो आम आदमी अपने कार्यों के लिए दर दर की ठोंकरें खा रहा है
जिसके पास पैसा व सिफारिश है उनके काम हो जाते हैं आम आदमी तो कीड़े मकौड़ों की तरह सरकारी अधिकारियों के पांव के जूती के नीचे है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी पर जनता ने दूसरी बार विश्वास किया और नायब सैनी पहले ऐसे मुख्यमंत्री बनें जिन्होंने 1966 के बाद सीएम हाऊस के दरवाजे खोल दिए लेकिन अंबाला में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा इसके लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी एडीजीपी से खुफिया रिपोर्ट मंगवाए कि उनकी प्रजा उनके राज में खुश भी है या फिर प्रशासनिक अधिकारी मनमर्जी कर जनता को परेशान कर रहे हैं।