सनातन संस्थाओं पर असीम गोयल टीम व भूमाफिया परिवार का कब्जा: क्या सत्ता भोगने का माध्यम है? करवाने का माध्यम है? क्या सत्ता भूमाफियों को संरक्षण देने का माध्यम है? क्या सत्ता शिक्षण संस्थाओं पर कब्जा करने का माध्यम है? क्या सत्ता लोगों को दबाने का माध्यम है? क्या सत्ता लोगों को डराने का माध्यम है? क्या सत्ता सच्चाई बोलने वालों के खिलाफ चलने का माध्यम है या फिर सत्ता लोकतंत्र में नर सेवा नारायण सेवा के सिद्धांत पर चलना चाहिए।
क्यों पूर्व मंत्री असीम गोयल को अपनी ही पार्टी की मेयर सैलजा सचदेवा लगने लगी थ्रेट?
2014 में अंबाला शहर में असीम गोयल मोदी लहर में विधायक बने और मोदी लहर न होती तो असीम गोयल अपने पैतृक गांव नन्यौला के सरपंच बनने में भी सक्षम नहीं थे और हरियाणा में नहीं देश की राजनीति में मोदी लहर में 2014, 2019 व 2024 में ऐसे ऐसे लोग लोकसभा व विधानसभा चुनाव जीत गए जिसे उसके घर के भी लोग पसंद नहीं करते थे और न ही वह गांव के पंच या पार्षद बन सकते थे उनके लिए तो मोदी भगवान का रूप है और अंबाला शहर में असीम गोयल भी एक मोदी लहर का ही एक उदाहरण है और 2014 के बाद असीम गोयल ने अंबाला में भाजपा को मजबूत करने की बजाए असीम गोयल टीम को मजबूत किया।
असीम गोयल को इससे कोई मतलब नहंी जो कल कांग्रेस से भाजपा में आया उसे साथ लगाना है या नहीं बस असीम गोयल को तो उन लोगों को साथ लगाना है जो असीम गोयल के पैरों के हाथ लगाएं उनकी स्तुति करें और हर जगह जाकर असीम चालीसा पढ़ें ऐसे लोग असीम गोयल को गवारा नहीं जो भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता हैं।
यही कारण है कि अंबाला शहर निवासी अरविंद अग्रवाल जिसका भाजपा से आरएसएस से कोई लेना देना नहीं कांग्रेस से ताल्लुक है और आज असीम गोयल उनका खास है और पारिवारिक निमंत्रणों में असीम का नाम लिखा जाता है और आज अरविंद अग्रवाल जो भूमाफिया है सुपारी देकर हमले करवाता है वह न केवल असीम का पार्टनर है बल्कि अंबाला शहर के सनातन धर्म के शिक्षण संस्थानों पर अरविंद अग्रवाल व उसके परिवार का कब्जा असीम के आशीर्वाद से है और असीम टीम का भी अंबाला के सनातन शिक्षण संस्थानों पर कब्जा हो चुका है।