अंबाला प्रशासन की गुंडागर्दी: मुख्य सचिव से करूँगा शिकायत : निर्मल सिंह

अंबाला प्रशासन की गुंडागर्दी: मुख्य सचिव से करूँगा शिकायत : निर्मल सिंह : मुख्यमंत्री नायब सैनी अपने ख़ास पूर्व मंत्री को प्रोटोकॉल सिखायें : विधायक निर्मल सिंह

बैठक में करीब 106 करोड़ रुपये के बजट पर मुहर लगने की संभावना है।

पूर्व विधायक के भाई से उद्घाटन करवा जिन्हें उन्हें वोट दिया उस अंबाला शहर की जनता का किया गया अपमान

अंबाला: सिविल अस्पताल अंबाला में गैस्ट्रोलॉजी ओपीडी का उद्घाटन अब स्वास्थ्य सेवा से ज्यादा सियासी बहस का मुद्दा बन गया है। वजह यह है कि स्थानीय विधायक और सांसद को कार्यक्रम से दूर रखकर उद्घाटन का मंच पूर्व मंत्री असीम गोयल के भाई को दे दिया गया। इस घटनाक्रम ने पूरे शहर की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।

विधायक निर्मल सिंह का इस पर गुस्सा फूटा और उन्होंने इस कार्यक्रम को लेकर कड़ी नाराज़गी जताई है। उन्होंने साफ कहा यह न केवल मेरी उपेक्षा है, बल्कि उन हज़ारों लोगों का अपमान है जिन्होंने मुझे चुनकर भेजा है। उद्घाटन जैसे कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों को दरकिनार करना लोकतांत्रिक मर्यादा का खुला उल्लंघन है और अंबाला प्रशासन की गुंडागर्दी है ।

निर्मल सिंह ने सवाल उठाया कि जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक हर कार्यक्रम में प्रोटोकॉल का पालन करते हैं, तो अंबाला में प्रशासन ने किसके इशारे पर नियमों को ताक पर रख दिया? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह कोई पहली बार नहीं है, पहले भी कई बार उन्हें कार्यक्रमों से जानबूझकर बाहर रखा गया है।

विधायक ने सीधा मुख्यमंत्री सीएम नायब सैनी से अपील करते हुए कहा कि वे अपने करीबी पूर्व मंत्री असीम गोयल को समझाएं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रोटोकॉल का क्या महत्व होता है।
उन्होंने कहा, कार्यक्रम कोई पारिवारिक आयोजन नहीं होते। यह जनता से जुड़े होते हैं, और जनता के प्रतिनिधियों को ही प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

निर्मल सिंह ने घोषणा की कि वह इस पूरे प्रकरण की शिकायत हरियाणा के मुख्य सचिव से करेंगे और मांग करेंगे कि दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो। उन्होंने कहा मैं चुप नहीं बैठूंगा। यह सिर्फ मेरा नहीं, पूरे अंबाला शहर की जनता का अपमान है। अब जवाबदेही तय करनी ही होगी।

इस पूरे मामले के सामने आने के बाद जनता में भी सवाल उठने लगे हैं। लोग जानना चाहते हैं कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि को आखिर किस मंशा से दूर रखा गया? क्या अब विकास कार्य भी सिर्फ अपनों के नाम पर होंगे?