कोकोमी की मांग- इंफाल घाटी में बनाया जाए ‘किसान सुरक्षा जोन’, हथियारबंद को देखते ही मारी जाए गोली

कोकोमी की मांग- इंफाल घाटी में बनाया जाए ‘किसान सुरक्षा जोन’, हथियारबंद को देखते ही मारी जाए गोली

मणिपुर में एक किसान पर गोली चलने की घटना के दो दिन बाद शनिवार को मैतेई संगठन कोकोमी ने इंफाल घाटी के सीमावर्ती क्षेत्रों में ‘किसान सुरक्षा जोन’ बनाने की मांग की। कोकोमी ने यह भी मांग की कि इन सीमावर्ती क्षेत्रों में किसी भी अनाधिकृत हथियारबंद व्यक्ति, खासकर असॉल्ट राइफल या घातक हथियार लिए हुए लोगों के खिलाफ ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश दिए जाएं।

इस गोलीबारी की निंदा करते हुए कोकोमी ने अपने बयान में कहा, निंगथौजम बीरेन सिंह को एसएसबी सुरक्षा लाइन से सिर्फ 30 मीटर दूर बहुत नजदीक से गोली मारी गई। आतंक का यह कृत्य बीएसएफ, सेना और एसएसबी की त्रिस्तरीय सुरक्षा को तोड़कर किया गया, जिससे सुरक्षा व्यवस्था की मंशा, क्षमता और भरोसे पर गंभीर सवाल उठते हैं।

मणिपुर अखंडता समन्वय समिति (कोकोमी) की एक टीम ने बिष्णुपुर जिले के पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की और फिर पुलिस मुख्यालय में एडीजीपी एल. कैलुन और आईजीपी के. कबिब जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के साथभी बैठक भी की। संगठन ने कहा कि वह स्थानीय किसानों और घायल किसान के परिवार के साथ पूरी तरह खड़ी है। कोकोमी ने मांग दोहराई कि ‘किसान सुरक्षा जोन’ बनाया जाए और उसमें ‘देखते ही गोली मारने’ का आदेश भी लागू किया जाए।

कोकोमी ने कहा, इंफाल घाटी के किनारे के सारे कृषि क्षेत्र और नहरों के पास का इलाका आधिकारिक रूप से ‘किसान सुरक्षा जोन’ घोषित किया जाना चाहिए। यह क्षेत्र ‘नो-आर्म्स जोन’ होना चाहिए, यानी किसी भी प्रकार के हथियारों की अनुमति न हो। अगर कोई हथियारबंद व्यक्ति, खासकर घातक हथियार या असॉल्ट राइफल लेकर मिले, तो उसे देखते ही गोली मारी जाए।

संगठन ने यह भी मांग की कि किसानों को निरंतर खेती करने का अधिकार दिया जाए, ताकि मैतेई किसानों को बिना डर या बाधा के खेतों तक पहुंचने और धान की खेती करने की अनुमति मिले, खासकर पहाड़ी इलाकों तक। कोकोमी ने कहा कि वहां दो से तीन और सुरक्षा टुकड़ियां तैनात की जाएं, जो मोबाइल पेट्रोलिंग करें और मौजूदा स्थायी चौकियों को बनाए रखा जाए, ताकि संवेदनशील खेती वाले क्षेत्रों पर चौबीसों घंटे निगरानी हो सके।

गोलीबारी की घटना गुरुवार दोपहर बिष्णुपुर जिले के फुबाला गांव में हुई थी। जब एक किसान खेत में काम कर रहा था, तभी कथित रूप से हथियारबंद लोगों ने गोली चला दी। साथ काम कर रहे किसानों ने बताया कि गोली नजदीकी पहाड़ियों से चलाई गई थी। फुबाला के ये खेत इंफाल घाटी की सीमा पर हैं और एक ओर चुराचांदपुर जिले की पहाड़ियों से घिरे हैं। मणिपुर में  मई 2023 से मैतेई (जो घाटी में रहते हैं) और कुकी (जो पहाड़ों में रहते हैं) समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 260 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो चुके हैं।