बसें चलाने का प्रारूप भी शासन स्तर पर तैयार किया जा रहा है। इसमें जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से ग्रेटर नोएडा और फिर यहां से नोएडा और दिल्ली के कश्मीरी गेट व आनंद बिहार तक के रूट शामिल किए गए हैं।
जिले के तीनों प्राधिकरण क्षेत्र में सिटी बस संचालन की योजना सोमवार को और आगे बढ़ेगी। बस संचालन के लिए एजेंसी चयन को शासन स्तर पर फाइनेंशियल बिड खोली जाएगी। इसमें शामिल होने के लिए नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण से बतौर प्रतिनिधि अधिकारी जाएंगे। दूसरी तरफ तीनों प्राधिकरण से बस संचालन की इस योजना के लिए विशेष प्रायोजन संस्था (एसपीवी) का भी गठन किया जा रहा है।
बसें चलाने का प्रारूप भी शासन स्तर पर तैयार किया जा रहा है। इसमें जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से ग्रेटर नोएडा और फिर यहां से नोएडा और दिल्ली के कश्मीरी गेट व आनंद बिहार तक के रूट शामिल किए गए हैं। गाजियाबाद तक भी बसें चलाने पर विचार हुआ था लेकिन फिर यह तय किया गया कि गाजियाबाद बॉर्डर तक शाहबेरी और नोएडा के सेक्टर-62 तक के ही रूट तैयार किए जाएंगे।
बनाई जा रही एसपीवी में बतौर लीड मेंबर नोएडा प्राधिकरण परियोजना की अगुवाई करेगा। नोएडा की हिस्सेदारी 48 प्रतिशत तो ग्रेटर नोएडा व यमुना की 26-26 प्रतिशत तय की गई है। इसी अनुपात में बस संचालन में आने वाले खर्च का विभाजन तीनों प्राधिकरण के बीच होगा। नोएडा को 300 तो ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के लिए 100-100 बसें मिलेंगी। बस सेवा का संचालन और रूट, किराए का निर्धारण एसपीवी की तरफ से ही किया जाएगा। अभी तीनों प्राधिकरण से इस एसपीवी के लिए पदेन अधिकारी नामित किए गए हैं। आगे बस संचालन को आने वाली कंपनी को भी शामिल किया जाएगा।
तीनों प्राधिकरण में इस सार्वजनिक परिवहन सेवा को ग्रास कॉस्ट कांट्रैक्ट (जीसीसी) मॉडल पर संचालित किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि इसमें पूरी परियोजना पर आने वाली लागत का वहन एजेंसी को करना होगा। 500 बसें खरीदकर उनका संचालन करने के लिए जरूरी संसाधन व अन्य खर्च जोड़कर पूरी परियोजना करीब 675 करोड़ रुपये लागत की अनुमानित है। टेंडर में जो एजेंसी सबसे कम दर पर बसों के संचालन को तैयार होगी उसे संचालन का जिम्मा दिया जाएगा।
शहरी परिवहन निदेशालय निदेशालय की तरफ से दो तरह की इलेक्ट्रिक बसों की मांग तीनों प्राधिकरण क्षेत्र के लिए की गई है। पहली 9 मीटर की होंगी दूसरी 12 मीटर की। 9 मीटर लंबी बस की क्षमता 28 व एक दिव्यांग यात्री व एक चालक की होगी। वहीं 12 मीटर लंबी बस में यात्री क्षमता चालक व दिव्यांग यात्री को छोड़कर 36 यात्रियों की होगी। इस टेंडर में 9 एजेंसी आई थी। शासन स्तर पर हुए तकनीकी परीक्षण में एक एजेंसी के बाहर होने और 8 एजेंसियों के टेंडर में बचने की सूचना है। तीनों प्राधिकरण की बोर्ड मंजूरी या एसपीवी गठन न होने से टेंडर प्रक्रिया करीब दो हफ्ते होल्ड रही है।