अंबाला में आंगनबाड़ियों में जाने वाले 843 बच्चों में कुपोषण मिला है। हैरानी की बात तो यह है कि सिर्फ छह महीने में कुपोषण का यह आंकड़ा 400 से बढ़कर 843 हो गया।
पोषण ट्रैकर पर जब इन मामलों को रिपोर्ट किया तो स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई। आनन फानन में एसीएसए हेल्थ ने अंबाला जिला के स्वास्थ्य अधिकारियों को डाटा भेजकर जांच कराने के निर्देश दिए। अब स्वास्थ्य विभाग की टीमें पांच दिनों के भीतर इन सभी बच्चों की सेहत को सत्यापित करेंगी। टीम देखेगी कि वास्तव में बच्चे कुपोषित हैं या महिला और बाल विकास विभाग का डाटा गलत है। छह महीने में इतने बच्चों में कुपोषण का निकलना सरकारी सिस्टम पर सवाल उठा रहा है।
कुपोषित मिले तो बनाना होगा डाइट प्लान
जिला में पिछले वर्ष से दोगुने कुपोषित बच्चे मिलने पर आंगनबाड़ियों की कार्यशैली पर सवाल उठ रहा है। क्योंकि केंद्र में बच्चों को कुपोषण न हो इसके लिए चना, चीवड़ा, प्रोटीन बार व अन्य खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं। मगर इसके बावजूद बच्चों में कुपोषण निकल रहा है। 843 बच्चों में कुपोषण निकला तो स्वास्थ्य विभाग एक डाइट प्लान देगा और आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को विशेष डाइट पहुंचाई जाएगी।
पहले आंगनबाड़ी केंद्रों में होती है जांच
आंगनबाड़ी केंद्रों में छह महीने से पांच साल तक के बच्चे की आंगनबाड़ी वर्कर वजन, कद व अन्य जानकारी जुटाती हैं। जिसके आधार पर बच्चों में पोषण की कमी को आंका जाता है। इसके बाद यह सारी जानकारी महिला एवं बाल विकास विभाग को सैम पोर्टल पर दर्ज करनी होती है। जिन बच्चों में पोषण की कमी मिलती है उन्हें स्वास्थ्य विभाग की टीमें पोषण डाइट का परामर्श देती हैं। यह डाइट बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में ही दी जाती है। इसी के आधार पर आंगनबाड़ी केंद्रों में विशेष राशन दिया जाता है। जिसमें प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ होता है।
वर्ष में दो बार होती है बच्चों की जांच
आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य की टीम वर्ष में दो बार बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करती है। इस दौरान अगर कोई बच्चा बीमार पाया जाता है तो उसे उपचार के लिए भेजा जाता है। इसका उपचार सरकार द्वारा निशुल्क ही करवाया जाता है। इसके लिए विभाग के पास 37 लोगों की टीम है। जो विभिन्न क्षेत्रों में जाकर बच्चों की जांच का कार्य देखती है।
एसीएस के निर्देशों पर बच्चों की जांच का कार्य शुरू कर दिया है। बुधवार तक रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। जिले में 843 कुपोषित बच्चे मिले हैं, जिनका सत्यापन किया जाएगा ।
-डॉ. मंयक गुप्ता, नोडल अधिकारी राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंबाला।