केरल हाईकोर्ट में केरल युक्तिवादी संघम नामक संगठन ने याचिका दायर की थी। इसमें इस तरह की प्रथाओं के खिलाफ कानून बनाने की मांग की गई थी। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वह अपने पहले के रुख के संबंध में एक हलफनामा दायर करे। मामले की अगली सुनवाई 24 जून तय की।
काले जादू और जादू टोना के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल पूछा है। पीठ ने सवाल दागा कि क्या केरल सरकार अपने पुराने रुख के मुताबिक काला जादू और टोना-टोटका जैसी बुरी प्रथा के खिलाफ कानून बनाने पर विचार कर रही है?
केरल हाईकोर्ट में केरल युक्तिवादी संघम नामक संगठन ने याचिका दायर की थी। इसमें इस तरह की प्रथाओं के खिलाफ कानून बनाने की मांग की गई थी। मामले में अक्टूबर 2022 में केरल सरकार ने दलील दी थी कि वह काले जादू और टोना टोटका के खिलाफ कानून बनाएगी। इसके बाद याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई भी व्यक्ति न होने के कारण याचिका जून 2023 में खारिज कर दी गई थी, लेकिन बाद में इसे बहाल कर दिया गया।
तीन जून को याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायमूर्ति बसंत बालाजी की खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह अपने पहले के रुख के संबंध में एक हलफनामा दायर करे। मामले की अगली सुनवाई 24 जून तय की।
याचिका में क्या कहा गया?
2022 में केरल के पथानामथिट्टा जिले में एक जोड़े सहित तीन लोगों द्वारा दो महिलाओं की मानव बलि दिए जाने की घटना के बाद केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) केटी थॉमस की अध्यक्षता में बने कानून सुधार आयोग ने वर्ष 2019 में केरल राज्य को एक व्यापक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें नई सामाजिक स्थितियों पर आधारित विधायी सिफारिशें शामिल थीं।
संगठन ने दावा किया कि केरल अमानवीय दुष्ट प्रथाओं, जादू-टोना और काला जादू रोकथाम और उन्मूलन विधेयक-2019, अनुशंसित कानूनों में से एक है। लेकिन अभी तक राज्य की ओर से इस मामले पर कोई प्रयास नहीं किया गया है। याचिका में कहा गया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों द्वारा जादू-टोना और काले जादू के खिलाफ कानून पारित किए गए हैं।
याचिका में मांग की गई है कि बड़े पर्दे और ओटीटी प्लेटफार्मों पर फिल्में, टेलीविजन चैनलों और यूट्यूब पर प्रसारित कई धारावाहिक और अन्य टेलीफिल्मों में जादू-टोना और रहस्यमय प्रथाओं सहित अंधविश्वासों की सामग्री है, उन्हें अवैध घोषित किया जाए, तथा अच्छे इरादे रखने वाले और अच्छे कलात्मक मूल्य रखने वाले लोगों को इससे छूट दी जाए।