अनिल विज का कुर्ता, जैकेट या जुराब फटी हुई है उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं, बस मतलब सिर्फ लोगों की सेवा से है
अम्बाला (ज्योतिकण न्यूज):
अनिल विज जैसे नेता उस वक्त होते थे जब देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। बस उनमें एक ही खुमारी होती थी देश आजाद कैसे हो। और हमारे राष्ट्रपिता बापू गांधी ने तो सिर्फ एक धोती डालकर आजादी की लड़ाई लड़ी। ऐसी ही सोच अम्बाला छावनी से छठी बार विधायक वर्तमान में हरियाणा के गृह, स्वास्थ्य एवं निकाय मंत्री अनिल विज की है। उन्होेंने क्या पहना हुआ है वो पहनकर वह अच्छे लगेंगे या नहीं। उनका कुर्ता पजामा फटा हुआ या जैकेट फटी हुई है या उनकी जुराब कहीं से फटी हुई है। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं और अगर कोई कार्यकर्त्ता, हमदर्द, प्यार करने वाला बोल भी दे कि विज साहब आपका कुर्ता फटा है तो मुस्कुराकर कहते हैं कि कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें तो बस एक ही बात की खुमारी है एक ही बात से मतलब है कि लोगों की सेवा कैसे की जा सकती है। लोगों के हितों व हकों को कैसे सुरक्षित किया जा सकता है। आज भी अनिल विज आम साधारण कुर्सी व टेबल रखकर लोगों की समस्याएं सुनते हैं। मौके पर उनका हल करते हैं |
ऐसे महान योद्धा सिर्फ आजादी की लड़ाई में देखे गए जिन्हें अपनी सुंदरता या अपने आप को सुंदर दिखाने से कोई मतलब नहीं। वह तो पैदा ही सेवा के लिए होते हैं। 1857 की क्रांति के नाम से अम्बाला को जाना जाता है लेकिन अब अम्बाला की पहचान एक ओर नाम से हो गई है जिसका नाम अनिल विज है। जहां हरियाणा के विधायक मंत्री बनने के बाद, चेयरमैन बनने के बाद मनमर्जी के सरकारी बंगलों की सिफारिश करते हैं। इस अनिल विज ने उस बंगले को भी ठोकर मार दी कि लोग चंडीगढ़ कहां परेशान होंगे। अनिल विज भी इस युग के गांधी भी हैं और जनसमस्याओं का निवारण करने के लिए संकटमोचक भी हैं। दशकों बाद हरियाणा को ऐसा सच्चा, सुच्चा, जमीन से जुड़ा व जनता जनार्दन को इंसाफ दिलवाने वाला मंत्री मिला है।