संपादकीय: आज गुरनाम सिंह चढूनी तो कल टिकैत व राजेवाल तैयार रहे !

संपादकीय: आज गुरनाम सिंह चढूनी तो कल टिकैत व राजेवाल तैयार रहे !

किसान संगठनों ने हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी पर 10 करोड़ लेने का आरोप लगाने के बाद उनको सस्पैंड कर दिया गया और कल जो किसानों की दसवें दौर की बात विज्ञान भवन में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर व अन्य मंत्रियों के साथ होगी उसमें गुरनाम सिंह चढूनी शामिल नहीं होंगे। जिस तेजी से दिल्ली बार्डरों पर बैठे किसान संगठनों ने गुरनाम सिंह चढूनी को सस्पैंड करने का फैसला लिया क्या वह उचित है? क्या यह फैसला जल्दबाजी में तो नहीं लिया गया? क्या किसान संगठनों को गुरनाम सिंह चढूनी पर लगे आरोपों के बाद उन्हें सस्पैंड करने का अधिकार था। अगर अधिकार था तो वह हरियाणा की जनता व देश के किसानों को बताएं कि किसान संगठनों के नेताओं ने मात्र आरोप लगने के बाद गुरनाम सिंह चढूनी को सस्पैंड कर उनकी छवि को ना केवल उनके प्रदेश हरियाणा में धूमिल किया बल्कि देश की जनता में व देश के किसानों में गुरनाम सिंह चढूनी की छवि को दागदार कर दिया जो पिछल्ले कई महीनों से किसानों की लड़ाई लड़ रहे हैं उनके दर्जनों केस दर्ज हो चुके हैं। और किसान संगठनों ने उनके तमाम किए कार्यों को, किए संघर्ष को नकारते हुए तथाकथित ढंग से उन्हें सस्पैंड कर दिया। सस्पैंड करने वाले किसान नेता यह भूल गए कि किसानों को लड़वाने के लिए सरकार साम, दाम, दंड व भेद की नीति अपनाएगी। किसान नेताओं ने बिना सोचे, बिना कोई अधिकार प्राप्त गुरनाम सिंह चढूनी को देश की राजधानी की सीमा पर नीचा दिखाया है ऐसा कर किसान संगठनों ने हरियाणा को व हरियाणा के किसानों को नीचा दिखाया है। आज यह आरोप गुरनाम सिंह चढूनी पर लगे हैं कल को यही आरोप राकेश टिकैत पर लगेंगे फिर यही आरोप डॉ बलबीर सिंह राजेवाल पर लगेंगे। और इसी तरह एक एक करके सरकार किसान संगठनों को बांट देगी। जिन किसान नेताओं ने गुरनाम सिंह चढूनी को सस्पैंड किया है उनको इस संपादकीय के माध्यम से एक प्रसंग की जानकारी दे रहें हैं ‘जंगल में दो शेर थे शेर ने पूरे जंगल में अपना राज कायम करने के लिए जानवरों को खाना शुरू कर दिया जो डर कर शेर की शरण में आ गए वह बच गए। लेकिन जंगल में दो बैल थे जो परम मित्र थे शेर उनका शिकार नहीं कर पा रहा था तो एक दिन शेर के दिमाग में एक स्कीम आई और उसने एक बैल के कान में जाकर फूंक मारी और  चला गया। जब दूसरे बैल ने पूछा कि भाई क्या कह गया तो बैल ने कहा फूंक मार गया लेकिन दूसरे बैल ने विश्वास नहीं किा और दोनो लड़कर अलग हो गए और शाम तक शेर ने दोनों बैलों को अलग अलग होते ही उन्हें मार दिया।’ इसलिए किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी को सस्पैंड करने की बजाय इस साजिश को समझने का प्रयास करें नहीं कल को वह किसान भी सुरक्षित नहीं जिन्होंने चढूनी को सस्पैंड किया। इसलिए चूढूनी के आरोपों को खारिज कर उन्हें 19 की बैठक में किसान नेता लेकर जाएं।
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