बाय बाय 2020, सु स्वागतम 2021
वीरेश शांडिल्य की कलम से सम्पादकीय :-
आज 2020 का अंतिम दिन अर्थात अंतिम वीरवार जो दिन पीरों फकीरों का है। मैं साल के इस अंतिम दिन को ज्योतिकण परिवार की तरफ से शानदार विदाई देता हूं। और 2020 में अनेको अनेक अनुभव दिए और उन सब में सबसे ज्यादा अनुभव कोरोना कॉल का था जो दुखद था, खोफनाक था, भयंकर था, डरावना था, जिसने हम सबको रिश्तों से दूर कर दिया। कोरोना ने तो खून के रिश्तों को भी तार तार कर दिया था, कोरोना तो ऐसा मौत का मंजर बनकर आया कि कोरोना से मौत पाने वालों को परिवार के लोग कंधा तक ना दे पाए। अनेको अनेक जिंदगियों को कोरोना लील गया शायद 100 वर्ष बाद पहली बार ऐसा हुआ जब देश दुनिया थम गई। मंदिर गिरजाघर, गुरुद्वारे, चर्च, मस्जिदें बंद हो गर्इं। आखिर भगवान ने इतनी भयंकर परीक्षा क्यों ली, आखिर भगवान क्या संदेश दे रहा था, आखिर भगवान 2020 में अपने भक्तों से क्यों दूर हो गया, 2020 का कोरोना काल तो कलयुग को भी पार कर गया इसको क्या नाम दिया जाए यह भी किसी के दिमाग में नही आ रहा। जो जहां था वहीं रह गया यही नहीं डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है डॉक्टर भी अपनी दुकाने अस्पताल बंद कर घरों में बैठ गए थे, सड़कें जंगलों की तरह सुनसान हो गई थी सड़कों पर सिर्फ खाकी पहने पुलिस नजर आई, जो मानवता का चेहरा ऊभर कर आया वो पुलिस का आया, सरकारी डॉक्टरों, नर्सों का आया, सफाई कर्मचारियों का आया। ऐसा नहीं कि कोरोना काल में लोग सेवा के लिए आगे नहीं आए, निश्चित तौर पर आगे आए और लोगों ने उन दिनों उन्हीं में नारायण देखा जो भूखों को रोटी खिला रहे थे, गरीबों की सेवा कर रहे थे और देश में सबसे अहम भूमिका लंगर लगाने वालों की आई, देश में अहम भूमिका डेरा ब्यास की आई जिन्होंने अपने सारे डेरे लोगों के लिए सरकार को प्रशासन को समर्पित कर दिए। अगर ऐसा ना होता तो नर सेवा नारायण सेवा शब्द की कीमत खत्म हो जाती। 2020 का आज अंतिम दिन है आज हम आप हम सब आप सब 2020 को विदाई देंगे और यह कोरोना काल इस युग की लोगों की सबसे बड़ी परीक्षा भगवान ने ली लेकिन हमे आज अगला दिन आने से पहले सबको चिंतन करना है कि भगवान ने हमे कोरोना रूपी सजा क्यों दी, भगवान 2020 में क्या शिक्षा देना चाहते थे, क्या उस शिक्षा को हमने स्वीकार किया, क्या अपनी गलतियों पर चिंतन व मनन किया, हम लालच, अहंकार के आगे अंधे हो चुके हैं पैसे के पीछे भाग रहे हैं, पैसा पाने की भागमभाग में रिश्तों को भूल गए हैं, अपनेपन को भूल गए हैं, एक दूसरे को धोखा दे रहे हैं। इसी बात से रूस्ट होकर भगवान ने कोरोना काल दिया। आज इस कोरोना काल के 2020 के अंतिम दिन दुआ करें कि 2021 अच्छा आए, अच्छे संस्कार दे, लालच नाम की चीज को खत्म करे, रिश्तों में और मजबूती आए और द्वेश भावना खत्म हो, लोग भगवान से डरे, भगवान इस धरती पर है इसको याद रखे किसी का भला करें या ना करें किसी का बूरा ना करे। ये 2021 के पहले दिन संकल्प लेना है जो जिसके काम आ सके उसके काम आए और लालच की पट्टी को 2021 में उतार फैंके और भाईचारा और रामराज आए इसके लिए प्रभू से दुआ करें। ज्योतिकण परिवार 2020 को बाय बाय करता है वहीं 2021 का जोरदार स्वागत करता है।