क्यों माहौल खराब करने का रास्ता सरकार खुद दिखा रही ?
संपादकीय : 1947 को देश आजाद हुआ था और 1950 को देश का संविधान लागू हुआ था और संविधान ने हमें अनेको अनेक अधिकार दिए जिनमें बोलने का अधिकार, विरोध करने का अधिकार, अंहिंसा के रास्ते पर चलने का अधिकार, अपनी बात कानूनी दायरे में रहकर कहीं भी करने का अधिकार दिया। लेकिन भारतीय संविधान में कहीं भी इस बात का जिकर, कहीं इस बात का उल्लेख हो कि अपनी बात उगर होकर अपनी बात कहें। कानून की लक्ष्मण रेखा पार कर अपनी बात को रखा जाए। संविधान में सबकुछ सुनिश्चित है, बोलने की आजादी है लेकिन वह भी संसदीय भाषा में। देश में इस वक्त किसान आंदोलन हो रहा है केंद्र में भाजपा सरकार है और मोदी सरकार ने किसानों के खिलाफ कानून बनाया जिसका हरियाणा पंजाब के किसान जमकर विरोध कर रहे हैं और पिछल्ले लम्बे समय तक किसान सड़कों पर बैठे रहे और केंद्र सरकार ने उनकी सुध नहीं ली ना ही केंद्र सरकार के अधीन आने वाले गुप्तचर शाखाओं ने आईबी ने केंद्र सरकार को इस तरह की फीडबैक दी कि किसान उग्र होकर दिल्ली की तरफ आ सकते हैं। वैसे तो जब भी कोई देश पर मुसीबत आई, देश का माहौल खराब हुआ या इंदिरा व राजीव गांधी जैसे प्रधानमंत्रियों को मौत के घाट उतार दिया गया तो निश्चित तौर आईबी फेलियर था यही नहीं देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद पर हमला मुम्बई में 26/11 हमला अनेको अनेक पाकिस्तान की तरफ से हमले हुए कारगिल में घुसपैठ रही आईबी फेल हुई जिस कारण भारत को बहुत कुछ गंवाना पड़ा। और यही गलती आईबी से किसान आंदोलन में हुई। पंजाब में तो कैप्टन पर आरोप लगाकर आईबी बचाव कर लेगी हरियाणा में क्या कहेगी, हरियाणा का किसान भी तो दिल्ली गया गुरनाम सिंह चढूनी किसान नेता ऐलान करके गए उसके बावजूद भी आईबी फेल। केंद्र सरकार को पता है कि कोरोना चल रहा है केंद्र सरकार को पता है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल से कोई मदद नहीं मिलेगी वो तो बीजेपी को बदनाम करने के लिए किसानों को भड़काने का काम करेंगे। किसान आंदोलन की आग में केजरीवाल घी का काम करेंगे। उसके बावजूद भी केंद्र सरकार नहीं जागी ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार खुद ही किसानों को देश का माहौल खराब करने का रास्ता दिखा रही है जिस ढंग से बैरीगेट्स, अवरोधक, नाके व पुलिस को चुनौती देकर किसान आगे बढ़ा इससे देश की पुलिस, देश की पैरामिल्ट्री फोर्स का मनोबल गिरा है जो रास्ट्र की शांति के लिए अच्छे संकेत नहीं है। समय रहते मोदी अपनी मूछ का सवाल बनाए बिना राष्टÑ हित में अध्यादेश वापिस ले लें नहीं तो देश का माहौल अगे और खराब हो सकता है और किसानों के इस आंदोलन का फायदा एंटी सोशल एलीमेंट्स खालीस्तानी समर्थन्क व पाकिस्तान की आईएसआई उठा सकती है इसलिए समय रहते इस लड़ाई में किसानों की सुनकर बात को खत्म किया जाए।
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