पुलिस विभाग में सिपाही से लेकर डीजीपी की बदली विज के हाथ में हो तो हरियाणा में आ जाएगा रामराज

वीरेश शांडिल्य की कलम से खरी-खरी
सम्पादकीय : हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने गली गली कुचे कुचे फुटपाथ पर सोने वाले, झोपड़ी में सोने वाले व महलों में रहने वाले हरियाणा के लोगों को यह बता दिया कि गृह मंत्री का मतलब क्या होता है। 1966 को हरियाणा बना था आज तक शायद किसी को गृह मंत्री का मतलब भी ना पता हो लेकिन आज हरियाणा की सवा 2 करोड़ जनता गृह मंत्री का मतलब समझ चुकी है और अनिल विज ने हरियाणा पुलिस की छवि को साफ करने का सफल परिक्षण किया। आज जनता को सही मायनों में पता चला कि सेवा, सुरक्षा सहयोग क्या होता है। आज यदि किसी बड़े अफसर को जाकर फरियादी यह कह दे कि यदि आप मेरी बात नहीं सुनेगें तो गृह मंत्री अनिल विज जरूर सुनेगा, कुछ कहते हैं बाबा तो सुनेगा ही सुनेगा, कुछ कहते हैं गब्बर सुनेगा। इस तरह अनिल विज के अलग अलग नाम रखे हुए हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि अनिल विज को गृह मंत्री बने तकरीबन एक साल होने को है। उन्होंने पुलिस के तौर तरीकों को बदल दिया, उन्होंने आम आदमी के दिल में खाकी के सम्मान को बढ़ाया। उनके नेतृत्व में क्राईम कम हुआ, नशाखोरी कम हुई, माफिया कम हुआ, नशातस्करी कम हुई। यदि हरियाणा को भय व गुंडागर्दी, नशातस्करी मुक्त करना है तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत व देश के गृह मंत्री अमित शाह को एक फैसला लेना चाहिए कि अनिल विज को बतौर गृह मंत्री एक तरफा ताकत दे दी जाए। पुलिस विभाग में सिपाही से लेकर डीजीपी की बदली यदि अनिल विज के हाथ में हो तो हरियाणा में रामराज आने से कोई नहीं रोक सकता। हरियाणा में अपराधी टिकट लेकर भी देखने को नहीं मिलेंगे। इसलिए भाजपा हाईकमान व प्रधानमंत्री को अनिल विज को बतौर गृह मंत्री एक तरफा ताकत देकर हरियाणा से असली रामराज की पहल करनी चाहिए क्योंकि अम्बाला छावनी जिस धरती से अनिल विज चुनकर आते हैं उसी धरती से 1857 की क्रांति की चिंगारी उठी थी उसी हरियाणा से भगवान कृष्ण से कुरुक्षेत्र से अर्जुन को अपने मुखारबन से गीता का संदेश दिया था। और मोदी एक इतिहास रचें कि हरियाणा में पुलिस कर्मी से लेकर डीजीपी तक की ट्रांसफर सिर्फ गृह मंत्री अनिल विज खुद करेगा उसके बाद देखो कि हरियाणा में अपराध नाम की चीज रह जाए, लोगो को जस्टिस लेने के लिए अदालतों में नहीं जाना होगा क्योंकि उसके बाद तो ना झूठे मुकद्दमें दर्ज होंगे, ना झूठी व फर्जी जांच होगी, ना झूठे गवाह होंगे फिर तो सबकुछ आईने की तरह होगा। लेकिन उसके लिए गृह मंत्रालय में सीएम का हस्तक्षेप बंद हो। गृह मंत्री का मतलब गृह मंत्री ही होना चाहिए। ऐसा नहीं कि डीजीपी, एडीजीपी, आईजी, डीआईजी, एसपी व डीएसपी की ट्रांसफरों का अधिकार सीएम के पास हो। अनिल विज की बतौर गृह मंत्री की ताकत अगर भाजपा हाईकमान देखना चाहती है तो अनिल विज को देश के गृह मंत्री अमित शाह की तरह ताकत देनी होगी यदि अमित शाह के पास एक तरफा बतौर गृह मंत्री ताकत ना होती तो अमित शाह कभी भी 370 खत्म ना कर पाते, जम्मू कश्मीर में 370 खत्म होने के बाद अगर पत्ता भी नहीं हिला तो इसका सबसे बड़ा कारण अमित शाह के पास एक तरफा ताकत थी। मोदी ने उन्हें बतौर गृह मंत्री खुली छुट दी हुई थी यदि पैरा मिल्ट्री फोर्स मोदी अपने अधीन रखते तो अमित शाह इतना बड़ा फैसला नहीं ले सकते थे यदि अमित शाह ने 370 रूपी पेड़ पत्ता हिलने से पहले उखाड़ फैंका तो उसका कारण अमित शाह के पास बतौर गृह मंत्री एक तरफे अधिकार थे। ऐसे ही अधिकार हरियाणा में अनिल विज को दिए जाएं फिर देखो कि लोगों का पुलिस व कानून पर कैसे विश्वास बैठता है।
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