जापानी कंपनी आईस्पेस का मून लैंडर एक बार फिर चांद पर क्रैश हो गया। कंपनी ने बताया कि लेजर तकनीक में गड़बड़ी के कारण लैंडर तेजी से गिरा और संपर्क टूट गया। इससे पहले 2023 में भी आईस्पेस का मिशन असफल रहा था। नासा ने दुर्घटनास्थल की तस्वीरें जारी की हैं। बावजूद इसके, कंपनी 2027 में तीसरी कोशिश करेगी, जिसमें नासा सहयोग करेगा।
जापान की निजी अंतरिक्ष कंपनी आईस्पेस को एक बार फिर चांद पर उतरने में नाकामी हाथ लगी है। कंपनी का मून लैंडर लचीलेपन की वजह से फिर चांद की सतह से टकराकर चकनाचूर हो गया। मंगलवार को टोक्यो से कंपनी ने इस हादसे की वजह बताते हुए कहा कि इस बार गलती लैंडर की लेजर नेविगेशन तकनीक में थी। इससे पहले भी आईस्पेस का पहला मून मिशन 2023 में असफल रहा था।
कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि लैंडर चांद के उत्तर दिशा में स्थित ‘मारे फ्रिगोरिस’ या ‘सी ऑफ कोल्ड’ क्षेत्र में उतरने जा रहा था। लेकिन लेजर रेंज फाइंडर यानी वह उपकरण जो जमीन से दूरी मापता है, उसने सही जानकारी नहीं दी। इसी कारण लैंडर बहुत तेज रफ्तार से नीचे आता रहा। जब तक इसकी गलती समझ में आती, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लैंडर 138 फीट प्रति सेकंड (करीब 42 मीटर प्रति सेकंड) की रफ्तार से नीचे गिर रहा था और कुछ ही सेकंड में उसका संपर्क टूट गया। इसके बाद वह चांद की सतह से टकराकर टूट गया।
नासा ने भेजी तस्वीरें
नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर ने हाल ही में दुर्घटनास्थल की तस्वीरें भेजीं, जिनमें Resilience और उसके साथ गया मिनी रोवर भी मलबे के रूप में नजर आया। आईस्पेस के मुताबिक यह उनकी दूसरी असफलता है। इससे पहले 2023 में भी उनका मून लैंडर आखिरी पलों में सॉफ्टवेयर खराबी के कारण चांद पर गिरकर टूट गया था।
निजी कंपनियों के लिए मिशन मुश्किल
हालांकि, निजी कंपनियों द्वारा चांद पर लैंडिंग के मिशन में सफलता मिलना अभी भी बेहद मुश्किल साबित हो रहा है। अब तक सात निजी प्रयासों में केवल अमेरिका की फायरफ्लाई एयरोस्पेस कंपनी ने ही पूरी सफलता हासिल की है। मार्च में उसके ब्लू घोस्ट लैंडर ने चांद पर सुरक्षित लैंडिंग की थी। खास बात यह है कि उसी रॉकेट से रिजाइलेंस भी जनवरी में फ्लोरिडा से चांद के लिए रवाना हुआ था।
पांच देश ही पहुंचे चांद पर
अब तक दुनिया में सिर्फ पांच देशों ने ही सफलतापूर्वक चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की है, जिनमें सोवियत संघ, अमेरिका, चीन, भारत और जापान शामिल हैं। लेकिन मानव मिशन सिर्फ अमेरिका ने ही अब तक अंजाम दिया है। नासा का अपोलो मिशन आज भी इतिहास में दर्ज है, जब पहली बार इंसान ने चांद पर कदम रखा था।
हार नहीं मानेंगे फिर करेंगे कोशिश- सीईओ
आईस्पेस के संस्थापक और सीईओ ताकेशी हाकामाडा ने कहा कि कंपनी ने इन असफलताओं से हार नहीं मानी है। उन्होंने कहा कि हम चुनौतियों के बावजूद पीछे नहीं हटे हैं। हम अपने ग्राहकों का भरोसा वापस जीतने के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं। हमारी तीसरी मून लैंडिंग 2027 में होगी, जिसमें NASA भी सहयोग कर रहा है। इसके अलावा चौथा मिशन भी प्लान किया गया है।