अम्बाला के सिटी मीडिया अखबार ने पत्रकारों से खेद व्यक्त कर एकता की पहल की

सिटी मीडिया अखबार ने पत्रकारों से खेद व्यक्त कर एकता की पहल की

वीरेश शांडिल्य की कलम से खरी-खरी

संपादकीय: (ज्योतिकण) दैनिक सांध्य अखबार सिटी मीडिया के मुख्य संपादक नरेंद्र सिंह भाटिया ने कुछ दिन पहले एक संपादकीय लिखा था जिसका शीर्षक था विज के दरबार में सजदा करते हैं ‘चमचे’ पत्रकार। सब शीर्षक था यह पत्रकारिता है या चाटुकारिता। जिसको लेकर अम्बाला के पत्रकारों की एक बैठक हुई। बैठक में सिटी मीडिया में पत्रकारों के खिलाफ अशोभनीय व डैफॉमेट्री शब्द लिखने पर कड़ा एतराज जताया और पत्रकारों ने सिटी मीडिया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। सिटी मीडिया द्वारा लिखे संपादकीय में इस्तेमाल शब्द असंसदीय थे जिन शब्दों की समाज में कहीं कोई कीमत नहीं बस जो मन में आया वो लिख दिया गया। और दिन-प्रतिदिन अम्बाला शहर से पत्रकारों की यह आवाज अन्य जिलों में भी जाने लगी और उसके बाद अम्बाला में वैब एंड इलैक्ट्रॉनिक यूनियन का भी गठन हुआ जिसमें सिटी मीडिया को पत्रकारिता के मायने बताने पर चर्चा हुई।

आखिर पत्रकारों की यूनिटी आज रंग लाई और सिटी मीडिया के संपादक नरेंद्र सिंह भाटिया ने अम्बाला शहर के विश्राम ग्रह में आकर पत्रकारों की मौजूदगी में अपने संपादकीय पर खेद व्यक्त किया जिसमें उन्होंने विज के दरबार में सजदा करते हैं ‘चमचे’ पत्रकार लिखा था। पत्रकारों ने बड़ी सोच दिखाई और विवाद का सुखद पटाक्षेप हुआ बड़ी बात यह है कि वरिष्ठ संपादक नरेंद्र भाटिया ने अपनी गलती का एहसास पत्रकारों की पंचायत में समाज के कुछ गणमान्य लोगों के बीच किया। और ऐसा कर सिटी मीडिया ने ऐसा कदम उठाकर पत्रकार एकता को मजबूत किया। वहीं सभी पत्रकारों ने नरेंद्र भाटिया के खेद व्यक्त करने पर इस मामले को तूल देने के इरादे को पलट दिया और सबसे अहम बात यह है कि नरेंद्र भाटिया जो तकरीबन 70 वर्ष के हो गए उन्होंने कहा कि मेरे से अपनी बिरादरी के प्रति 100 प्रतिशत गलती हुई मुझे ऐसा संपादकीय नहीं लिखना चाहिए था जिससे समाज में मीडिया के लोगों की प्रतिष्ठता प्रभावित हो लेकिन पुरानी कहावत है ‘सुबह का भूला अगर शाम को घर आए तो वह भूला नहीं होता’ सिटी मीडिया के संपादक ने पत्रकारों के बीच आकर खेद व्यक्त कर इस कहावत को रचनात्मक अमलीजामा पहनाया और सकारात्मक सोच का परिचय दिया। जीवन में गलती किसी से भी हो सकती है और जो गलती नहीं करता वह भगवान होता है और गलती करके गलती मानने वाला इंसान होता है और गलती माफ करने वाला इंसानियत के रुप में एक साक्षात पवित्र आत्मा होती है। आज पत्रकारों ने एकता दिखाई और माफ करके इंसानियत दिखाई। जो दोनों पक्षों की सोच पॉजीटिव थी पत्रकारों की यह सोच समाज के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

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