आज समाज को ही बेटियों को पढ़ाना है,बढ़ाना है और सुरक्षित रखना है : चित्रा सरवारा

ज्योतिकण (ब्यूरो)

हिंसा की शिकार हुई दिवंगत बहन बेटियों की आत्मिक शांति हेतु प्रार्थना सभा आयोजित

अम्बाला छावनी :-हरियाणा डैमाक्रेटिक फ्रंट की नेत्री चित्रा सरवारा ने अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर आज अम्बाला छावनी के लाल कुर्ती बाजार स्थित वाल्मिकी धर्मशाला में महिला उत्पीड़न और बलात्कार व हिंसा की शिकार हुई दिवंगत बहन बेटियों की आत्मिक शांति हेतु प्रार्थना सभा का आयोजन किया। इस अवसर पर चित्रा सरवारा ने कहा कि निर्भया गैंगरेप कांड के खिलाफ हुए देशव्यापी जनआंदोलन के बावजूद बलात्कार की वारदातें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि हाथरस गैंगरेप कांड, कठुआ गैंगरेप कांड, उन्नाव बलात्कार कांड, शाहजहांपुर बलात्कार कांड और बुलंदशहर गैंगरेप कांड में आरोपियों को सत्तापक्ष की ओर से प्रत्यक्ष और अप्रत्क्ष रूप से समर्थन रहा है जबकि सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने अस्तित्व में आते ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद करते हुए दावा किया था कि उनके शासनकाल में न केवल बेटियों की शिक्षा पर ध्यान दिया जाएगा बल्कि उनको सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी। लेकिन अब तक के 6 साल के शासनकाल में सत्तारूढ़ सरकार न तो बेटियों को पढ़ाने का प्रबंध कर पाई और ना ही उनको सुरक्षा दे पाई। इसके विपरित, सरकार ने महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा के आंकड़े छापना और जनता को बताना ही बंद कर दिया है I क्या यूँ आंखें मूंदने से बेटियाँ सुरक्षित हो जाएंगी?

उन्हाेंने कहा कि बलात्कार कांड के बाद जिस प्रकार से आरोपी पक्ष पीड़िता और उसके परिजनों के खिलाफ अपने धन और बल का दुरूप्रयोग करते हैं यह समाज के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। अक्सर जिन सामाजिक और सरकारी तंत्रों का काम न्याय दिलवाना होता है,उन्ही सरकारी तंत्रो द्वारा पीड़ितों के दुख और व्यथा बढ़ाते हुए देखा जा सकता है I

उन्होंने कहा कि बेटियां सभी की सांझी हैं, यदि समाज में बहन और बेटियां ही सुरक्षित नहीं बचेंगी तो हमारा सामाजिक ढांचा चरमरा जाएगा जिसके बहुत ही गंभीर परिणाम निकलेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे मनीषियों ने तो यहां तक कहा है कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है। लेकिन पाश्चात्य सभ्यता का अंधा अनुकरण करते हुए देश की युवा पीढ़ी हमारी संस्कृति और संस्कारों का त्याग करके महिला विरोधी हिंसा जैसे जघ्नय कर्मों में संलिप्त होकर न केवल अपना जीवन तबाह कर लेते हैं बल्कि बेकसूर बहन बेटियों की जिंदगी भी बर्बाद कर देते हैं। उन्होंने कहा कि देश का अतीत ऐसा रहा है कि गांवों में किसी भी बहन बेटी को सभी लोग इसी दृष्टि से देखते थे और बहन बेटियां स्वयं काे सुरक्षित महसूस करती थी। उन्होंने कहा कि आज के बालिका दिवस के दिन हम परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करते है कि बलात्कार का शिकार होकर अपना जीवन खो चुकी असंख्या बहन बेटियों की आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिजनों को यह असहनीय दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करे तथा समाज में संतुलन और सौहार्द का वातावरण बनाए। इस प्रार्थना सभा का मुख्य आयोजक राजकुमार संजय डेयरी वाले, साेमनाथ काका,ललित कुमार शानू और उनके सहयोगियों रहे। प्रार्थना सभा में मुख्य रूप से विकास वालिया,मनु टांक, मोंटी ढिल्लो,सुरेश त्रेहन,राकेश यादव,रघुबीर यादव पूर्व डी. एस.पी,रतन लाल टांक,राजकुमार मट्टू,प्रमोद शिवाला मंडी,संजय पेवाल,सुरिंदर दलिपगढ़,हरमिंदर सिंह हैरी,अरुण बागड़ी,अशोक चावरिया,राजेश लाल,चिरंजीलाल गुप्ता,विजय गुम्बर,दीपक गोडियाल, दीपक बावा,जय धीमान, राजेश अग्रवाल, राजीव अनेजा,सुरिंदर राजू शर्मा,कमल धीमान,नवीन टुटेजा,बिल्ला करधान,लाजपत चौहान,मलकियत सिंह,नरेश सरपंच शाहपुर,पुरषोत्तम,परमिंदर लोचभ,राजकुमार सुंदरनगर,पवन बांगा,मनमोहन शर्मा इत्यादि उपस्थित रहे।

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