अम्बाला (ज्योतिकण न्यूज़) – पूरा देश नहीं पूरा विश्व जानता है कि गांधी परिवार ने ना केवल कांग्रेस को बल्कि हिंदुस्तान को भी अपने खून से सींचा है। चाहे आजादी की लड़ाई में संघर्ष की बात हो या फिर देश से आतंकवाद के सफाए की बात हो तो कांग्रेस पार्टी ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को खोया है। जिस तरह देशद्रोही ताकतों ने, आतंकवादी ताकतों ने इंदिरा गांधी व राजीव गांधी को मौत के घाट उतारा था कोई ओर परिवार होता तो दुबक कर, डरकर, दहशत में आकर घर बैठ जाता। लेकिन अपनी सास की कुर्बानी, अपनी दादी की कुर्बानी, अपने पति की कुर्बानी, अपने पिता की कुर्बानी के बाद भी सोनिया गांधी हो या राहुल गांधी, प्रियंका गांधी हो उनका पूरा परिवार देश के लिए लड़ रहा है। 2004 में इसी सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद को ठुकराकर डा. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाकर बहुत बड़े त्याग की मसाल दी। यदि राहुल गांधी और सोनिया गांधी चाहते हैं कि 2024 में कांग्रेस सत्ता में वापसी करे तो उसके लिए बिना देर किए राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाना होगा।
और बिना परवाह किए सोनीया गांधी को यह फैसला लेना होगा। लोग इसका जितना भी विरोध क्यों ना करे इस बात से ऊपर उठकर सोनिया गांधी को अपना दो टूक फरमान राहुल के पक्ष में सुनाना होगा। जो कांग्रेसी राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने का विरोध कर रहे हैं वो जहां जाएं उन्हें जाने दें, वो अलग पार्टी बनाए उन्हें बनाने दें क्योंकि कांग्रेस के किसी भी नेता के पास अगर आज नाम है तो वह इंदिरा व राजीव गांधी की देन है।
इतिहास इस बात का गवाह है कि जितने भी कांग्रेसी कांग्रेस से बाहर आए हैं वह वजूदहीन हुए। उनमें चाहे एनडी तिवारी हों, या तारीक अनवर, विरेंद्र सिंह हों या बंसी लाल, भजन लाल हों सभी को मुड़कर कांग्रेस में आना पड़ा। यदि राहुल गांधी अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह कांग्रेस को मजबूत करने के लिए बड़े व बिना दबाव के फैसले नहीं लेंगे तो लीडरों का तो पता नहीं लेकिन कांग्रेस का वर्कर घर बैठ जाएगा और जिस दिन कांग्रेस का वर्कर घर बैठ गया फिर वर्कर लौटकर वापस नहीं आएगा। अब हरियाणा की बात करे जिस भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एमएलए ना होते हुए जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा सरकार में चेयरमैन नहीं रहा उस हुड्डा को कांग्रेस हाईकमान ने भजन लाल को अनदेखा कर राज्य का मुख्यमंत्री बनाया। जबकि तारीख गवाह है कि चौ. भजन लाल के नेतृत्व में हरियाणा में 2004 में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में 10 में से 9 सीटे मिली थी और 2005 के विधानसभा चुनाव में जब भजन लाल ही कांग्रेस के अध्यक्ष थे तो 90 में से 67 विधानसभा सीट मिली लेकिन भजन लाल मुख्यमंत्री नहीं बने। आज वही भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस को आंख दिखा रहे हैं, शैलजा को कमजोर कर रहे हैं, कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बना रहे हैं। आखिर राहुल गांधी यह कब तक देखते रहेंगे, कब तक सोचते रहेंगे। अगर इसी तरह टाईम निकलता गया तो कांग्रेस कमजोर हो जाएगी। क्योंकि कांग्रेस को लीडर नहीं या तो गांधी परिवार ने चलाया या फिर वर्कर ने। जिस कांग्रेस लीडर के ऊपर इंदिरा राजीव व सोनिया गांधी का हाथ रहा वह नेता मिट्टी का था तो भी सोना बन गया। राहुल गांधी जी अभी कुछ नहीं बिगड़ा आप कांग्रेस की बागडोर अपने हाथ में लें और अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह सख्त फैसले लें।