(ज्योतिकण न्यूज़) योग गुरु बाबा रामदेव आज एक सफल व्यापारी बन गए हैं। उनके हर ब्रांड का डंका है और किस ब्रांड को कैसे मीडिया में उछालना है कैसे लोगोें तक पहुंचाना है योग गुरु के साथ साथ बाबा रामदेव ने इस बात की भी पढ़ाई की हुई है। जिस तरह का दिमाग बड़े बड़े उद्योगपतियों का होता है वैसा ही दिमाग आज जैड प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त रामदेव का है। हालांकि योग सैंकड़ों वर्ष पुराना एक नियम है लेकिन इस नियम को लोगों में जागृत निश्चित तौर पर बाबा रामदेव ने किया। बाबा रामदेव अक्सर मीडिया में रहते हैं कैसे मीडिया में रहना है कैसे अपने आप को मीडिया ट्रायल बनाना है इस बात के गुर देश के राजनेता बाबा रामदेव से लें। खासकर वो राजनेता जिनको मीडिया पुछती भी नहीं।
रामदेव उस राजनेता को मीडिया में छाने के गुर बता देंगे। यह पहला मौका नहीं जब इंडियन मैडीकल एसोसिएशन (आईएमए) से उलझकर बाबा रामदेव ने सुर्खियां बटोरी। इससे पहले भी अन्ना के आंदोलन में छाए रहे उसके बाद रामलीला ग्राऊंड से जानबुझकर सलवार कमीज पहनकर भागे तांकि यह बात भी मीडिया में चर्चा का विषय बने और वह बात चर्चा का विषय बनी भी। आज भी बाबा रामदेव के विरोधी यह कहते हैं कि बाबा रामदेव भूल गए जब रामलीला ग्राऊंड से सलवार कमीज पाकर भागे थे। हालांकि उस वक्त पुलिस लाठी चार्ज से बचने का शायद यही एक अच्छा तरीका बाबा रामदेव के पास होगा। लेकिन इतनी बुलंदी पर जाने के बाद विवाद में रहना रामदेव की आदत क्यों बन गई है? क्यों रामदेव अपनी बनाई दवाईयों, अपने बनाए घी, अपने बनाए च्वनप्राश को सबसे अच्छा बताता है क्यों कहते हैं कि कोरिनल किट का इस्तेमाल करने के बाद कोरोना नहीं होगा।
और चलो अपना प्रचार व अपने ब्रांड का प्रचार दुनिया करती है लेकिन बाबा रामदेव इस चक्कर में आईएमए से उलझ बैठे और एलोपैथिक दवाईयों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। और जिस कारण आईएमए को रामदेव के विरुद्ध अंससदीय भाषा का भी प्रयोग करना पड़ा। रामदेव एक मंजिल पर हैं और उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि अब लोग उनके बारे में अच्छा कहें या ना कहें लेकिन बुरा कोई ना कहे। तभी बड़ा बनने का फायदा है। ऐसा पेड़ बनने का कोई फायदा नहीं जो खजूर जैसा हो जिसका फल दूर हो और छाया ना दे सके। रामदेव को कोई अधिकार नहीं ऐलोपैथिक दवाईयों पर कटाक्ष करने के। हां अपने ब्रांड का प्रचार करें और रामदेव अपना अतीत झांके। जब जब उनकी छवि खराब हुई तो सिर्फ जीभ (जुबान) के कारण हुई। रामदेव को यह नहीं भूलना चाहिए कि पैसा तो बुलंदी पर पहुंचाता है लेकिन अगर जुबान भी मीठी हो तो सोने पर सुहागा है क्योंकि जुबान अर्श पर भी ले जाती है और फर्श पर भी।