राष्ट्रपति कोविंद का अपनी तनख्वाह को लेकर दिया ब्यान उचित नहीं | WWW.JYOTIKAN.COM

अम्बाला (ज्योतिकाण न्यूज़)

इन दिनों अपने गृह जिला कानपुर उत्तर प्रदेश में भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दौरे पर हैं। इस दौरान वह अपने तमाम टीचरों, पुराने साथियों व कई नागरिक अभिनंदनों में शामिल हो रहे हैं। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ट्रेन से कानपुर पहुंचे। भले ही वह ट्रेन से पहुंचे लेकिन ठाठ-बाट राष्ट्रपति वाला ही रहा। कानपुर रेलवे स्टेशन पर आम आदमी नहीं बल्कि उस दिन वीआईपी व सुरक्षा ही नजर आई जिस दिन रामनाथ कोविंद कानपुर ट्रेन द्वारा उतरे। और खास बात यह रही कि देश के रेल मंत्री पीयुष गोयल ने राष्ट्रपति बापू गांधी की तस्वीर भेंट की और तस्वीर में बापू गांधी हाथ में डंडा लिए ट्रेन से उतर रहे हैं। यह तस्वीर क्यों दी इस तस्वीर से किसकी तुलना की यह बात तो भेंटकर्त्ता रेल मंत्री पीयुष गोयल जानते होंगे। लेकिन जिसकी तस्वीर दी उसे उस वक्त किसी वीआईपी ने या राज्यपाल ने या मुख्यमंत्री ने या रेलमंत्री ने रसीव नहीं किया था इसलिए उन्हें राष्ट्रपति कहते हैं। कानपुर ट्रेन से जाकर अगर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समझते हैं कि उनकी सादगी झलकी ऐसा नहीं है। शायद इतना खर्चा जहाज में ना आता जितना खर्चा राष्ट्रपति की ट्रेन विजिट में राज्य व केंद्र सरकार का आया।

चलो यह बाते चलती रहती हैं। ऐसी चर्चाएं चलना स्वभाविक हैं क्योंकि एक्शन के ऊपर रिएक्शन लाजमी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि कानपुर नागरिक अभिनंदन के दौरान महामहिम राष्ट्रपति ने अपने भाषण में यह कह डाला कि लोग कहते हैं कि राष्ट्रपति को सबसे ज्यादा तनख्वाह 5 लाख मिलती है लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि उसमें से तकरीबन 3 लाख रुपए टैक्स के चले जाते हैं और राष्ट्रपति महोदय ने इस बात को यहीं विराम नहीं लगाया और कहा कि इससे ज्यादा तनख्वाह तो टीचर व उनके साथ चलने वाले अधिकारियों की है। हालांकि बाद में राष्ट्रपति जी ने अपने इस ब्यान को संभाला और कहा कि यह तो लोगों को टैक्स देने की प्रेरणा देने के लिए कहा। लेकिन कहीं ना कहीं 3 लाख रुपए अपनी पे से टैक्स कटने की महामहिम को तक्लीफ थी। अब सवाल यह है कि महामहिम ने कहा कि इससे ज्यादा तनख्वाह तो टीचर व अधिकारियों को मिलती है लेकिन राष्ट्रपति महोदय यह भूल गए कि टीचर या अधिकारी राष्ट्रपति भवन में नहीं रहते जहां 500 से अधिक कमरे हैं राष्ट्रपति भवन अपने आप में एक स्टेट है नौकर चाकर आराम डॉक्टर व तमाम तरह की सुविधाओं लैस है ऐसे में महामहिम राष्ट्रपति को अपनी तनख्वाह का मेल एक टीचर या अधिकारी से नहीं करना चाहिए। राष्ट्रपति महोदय यही बता दें कि महीने का राष्ट्रपति भवन का खर्चा कितना है। अपनी तुलना राष्ट्रपति को किसी से नहीं करनी चाहिए। क्योंकि राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति ही रह सकते हैं टीचर या अधिकारी नहीं।

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