डीजीपी ने गृह सचिव को लिखे पत्र को क्यों किया अपने ट्वीट में अटैच!
मुख्य सम्पादक की कलम से खरी-खरी
हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव ने बीते मंगलवार को ट्वीट किया था कि वह अपने कैरियर व अपने परिवार के कारण अब दिल्ली डैपोटेशन पर आईबी में जाना चाहते हैं क्योंकि जब मनोज यादव हरियाणा के डीजीपी लगे थे उस वक्त वह एडिशन डायरैक्टर आईबी थे। डीजीपी की कार्य अवधि पूरी होने के बाद जब मुख्यमंत्री ने उन्हें एक्सटैंशन देने की बात कही तो हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज डीजीपी मनोज यादव की एक्सटैंशन पर आपत्ति जताई और उन्होंने एक पैनल डीजीपी के नामों का तैयार किया। और यही नहीं गृह मंत्री अनिल विज ने बतौर डीजीपी मनोज यादव की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हालांकि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने केंद्र को जो पत्र लिखा उसके बाद मनोज यादव को बतौर डीजीपी एक्सटैंशन दी गई जो सही मायनों में सुप्रीम कोर्ट की भी अवेहलना थी और डीजीपी मनोज यादव की एक्सटैंशन के तुरंत बाद मनोज यादव व गृह मंत्री अनिल विज का छत्तीस का आंकड़ा शुरू हो गया और डीजीपी ने गृह मंत्री अनिल विज के उनके आदेशों को व उनके लिखे पत्रों को इग्नोर करना शुरू कर दिया और डीजीपी मनोज यादव और गृह मंत्री अनिल विज का टकराव ना केवल प्रदेश के लोगों में जंगल की आग की तरह फैल गया बल्कि मीडिया में भी अनिल विज व डीजीपी का टकराव सुर्खीयां बटोरने लगा। सुनने में तो यह भी आता है कि गृह मंत्री ने पिछले काफी समय से कोई भी शिकायत आने पर जांच डीजीपी क्राईम को भेजनी शुरू कर दी औरगृह मंत्री अनिल विज ने मनोज यादव से बात करनी ही बंद कर दी क्योंकि उनका एक की तर्क था कि डीजीपी मनोज यादव के नेतृत्व में प्रदेश की कानून व्यवस्था कमजोर हुई है। और इन सबको देखते हुए बीते मंगलवार को हरियाणा के डीजीपी ने ट्वीट कर कहा कि वह अब अपने कैरियर व अपनी फैमली को देखते हुए वापिस डैपोटेशन पर जाना चाहते हैं और उन्होंने जो पत्र हरियाणा के गृह सचिव राजीव अरोड़ा को भेजा है वह पत्र भी ट्वीट के साथ अटैच किया है। आखिर डीजीपी को ट्वीट क्यों करना पड़ा?
आखिर डीजीपी मनोज यादव ने गृह सचिव को भेजे पत्र को ट्वीट के साथ अटैच क्यों किया? पुलिस का विभाग अनुशासन का होता है जब प्रदेश के डीजीपी ही सरकार का मजाक उड़ाएंगे तो आम पुलिस कर्मियों पर क्या संदेश जाएगा। ऐसा नहीं कि डीजीपी मनोज यादव ने ट्वीट कर मात्र गृह मंत्री को नीचा दिखाने का प्रयास किया ऐसा कर उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री को भी कमजोर किया है। डीजीपी मनोज यादव की पोस्टिंग का अधिकार मुख्यमंत्री के पास है उन्हें पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से बात करनी चाहिए थी लेकिन उन्होेंने ऐसा नहीं किया और गृह सचिव राजीव अरोड़ा को भेजा पत्र सोशल मीडिया पर डाल दिया जो मीडिया की सुर्खीयां बन गया जबकि यह पत्र बिल्कुल गोपनीय था फिर गोपनीय पत्र को सार्वजनिक करने के पीछे क्या राज है? और हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज तो आज भी कह रहे हैं कि उन्हें डीजीपी का अभी आॅफिशयली लैटर नहीं मिला। हालांकि डीजीपी के नामों की पैनल प्रक्रिया शुरू हो गई है लेकिन शायद भारतीय पुलिस सेवा में यह पहले डीजीपी होंगे जिन्होंने सरकारी पत्राचार को ही सोशल मीडिया पर डालकर सरकार की जग हंसाई करवा ली। हरियाणा के मुख्यमंत्री को इस पर गंभीर चिंतन करना चाहिए। क्योंकि एक्सटैंशन मिलने के बाद अनिल विज ने सार्वजनिक मंच पर डीजीपी के खिलाफ कुछ नहीं मिला फिर डीजीपी ने गृह सचिव के पत्र को अपने ट्वीट के साथ अटैच कर मामले को तूल देने का काम किया यह उच्चस्तरीय जांच का विषय है।