नया साल, नेक नीयत नई सोच, नई ऊर्जा के साथ शुरू करें | सम्पादकीय वीरेश शांडिल्य की कलम से

नया साल, नेक नीयत नई सोच, नई ऊर्जा के साथ शुरू करें

सम्पादकीय वीरेश शांडिल्य की कलम से

आज नया साल है आज नये साल की पहली तारीख है। 1 जनवरी दिन शुक्रवार 2021 है। हालांकि यह अंग्रेजी नया साल है सनातन के मुताबिक नया साल अप्रैल में होता है लेकिन परम्परा है कि 31 दिसम्बर के बाद जो साल बदलता है उसे नया साल कहते हैं लोग जश्न मनाते हैं नए साल को दीपावली की तरह मनाते हैं। हालांकि अभी देश कोरोना मुक्त नहीं हुआ लेकिन उसके बावजूद भी बीते कल 31 दिसम्बर 2020 को सभी होटलों, रैस्तरों में लोगों ने 2021 का जोरदार स्वागत किया। लोगों में इतना उत्साह था कि एक बार तो वह कोरोना को भी भूल गए, सोशल डिस्टैंस को भूल गए क्योंकि मार्च 2020 को कोरोना कॉल शुरू हुआ था उसके बाद तो एक देश को ग्रहण लग गया था पूरा देश लॉकडाऊन हो गया था, लोगो ंमें दहशत थी चाहे किसी के पास एक कमरा था, या महल या बंगले, चाहे कोई राजा था या रंक सभी चार दीवारी में सिमट कर रह गए थे। लेकिन बीती रात लोगों ने 12 बजे पटाखे छोड़े और वर्ष 2021 का जोरदार स्वागत किया इस उम्मीद के साथ कि नया साल 2020 की तमाम खट्टी मिट्ठी यादों को भूला देगा। और नया साल सभी दुख तकलीफों को दूर करेगा और नया साल एक नई उम्मीद, एक नई ऊर्जा, एक साफ नीयत, एक साफ नीति के साथ लोग शुरू करेंगे और इस संकल्प के साथ 2021 की शुरूआत करेंगे कि हर घर में खुशी हो, सरबत का भला हो, द्वेष भावना खत्म हो, स्वास्थ प्रतिस्पर्दा हो, लोग कुरीतियों को त्यागें, दस नोहों की कीरत कमाई ग्रहण करें।
किसी का सपने में भी बुरा ना करें अपने फायदे के लिए दूसरे का कभी नुक्सान ना हो और ना नुक्सान करने की सोचे ऐसी परमपिता परमात्मा से सोच मांगे। और इस सोच पर चलें ‘हे प्रभु इतना दीजिए जामा कुटुम्भ समाए मैं भी भूखा न रहंू, मेरा साधु भी भूखा ना जाए’। इस सोच पर चलकर नए साल का आगाज करें क्योंकि संतों महापुरुषों की सोच है जैसा खाओ अन्न वैसा बने मन। एक बात हम सबको समझ लेनी चाहिए कि खानदानी आदमी अमीर आदमी को या जमीन जायदादी आदमी को नहीं कहते बल्कि खानदानी आदमी का महापुरुषों की नजरों में मतलब जो अच्छा खाए और अच्छा दान करे, परोपकार करे ऐसे पैसे कोई फायदा नहीं जो लोगों के दिल को ठेस पहुंचाकर प्राप्त किया जाता है, धोखाधड़ी करके इकट्ठा किया जाता है और ना ही ऐसा कमाया पैसा धार्मिक स्थलों पर कबूल होता है सिर्फ मन की संतुष्टि होती है कि मैंने मंदिर में इतने लाख, गुरुद्वारे में इतने लाख, नगर खेड़ा में इतने लाख, पीर बाबा पर इतने लाख। ऐसे दान कोई फायदा नहीं जो लोगों को रूला कर इकट्ठा किया जाता है इसलिए 2021 आ गया है और हम सभी देशवासियों ने 2020 को नजदीक से देखा, 2020 की दहशत को नजदीक से देखा। इसे ही कहते हैं भगवान की लाठी बेआवाज। इसलिए नए साल में नई सोच, साफ नीति, साफ नीयत, परोपकार, प्रभु सिमरन, दूसरों की भलाई, सरबत का भला मांगना। यदि हम इन तमाम चीजों का अनुसरण करेंगे तो 2021 हिंदुस्तान व हिंदुस्तानियों के लिए फलदार व छायादार होगा। एक बात समझ लेनी चाहिए कि इस दुनिया को जो चला रहा है वो ही सुप्रीम पावर है, वो ही सबकुछ है। वो चाहे तो मिनट में विनाश कर दे, वो चाहे मरे हुए को जीवन दे दे, वो चाहे मिट्टी को सोना कर दे, इसलिए अहंकार त्याग इंसानियत 2021 इंसानियत के वर्ष के रूप में मनाएं।
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