हिम्मत सिंह के आरोपों के बाद निर्मल सिंह का अम्बाला शहर के आम आदमी व वोटर में डर बढ़ा !

हिम्मत सिंह के आरोपों के बाद निर्मल सिंह का अम्बाला शहर के आम आदमी व वोटर में डर बढ़ा !

 

अम्बाला शहर के लोगों का निर्मल सिह के प्रति डर बढ़ गया है। हिम्म्मत सिंह का यह कहना कि जो निर्मल सिंह मेरा नहीं हुआ वह भला अम्बाला शहर के लोगों का क्या होगा
अम्बाला (ज्योतिकण न्यूज) : 2014 में कांग्रेस टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हिम्मत सिंह को जब 2019 में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने राहुल गांधी से नजदीकी होने के बाद भी कांग्रेस को छोड़ दिया और निर्मल सिंह को अम्बाला शहर विधानसभा से महाभारत के कृष्ण की तरह चुनाव लड़वाया। निर्मल सिंह को 55 हजार से अधिक वोट मिले उसमे 70 प्रतिशत वोट हिम्मत सिंह के समर्थकों की ही थी क्योंकि निर्मल सिंह अम्बाला शहर की राजनीति में सक्रीय नहीं थे अम्बाला शहर के लोगों के दुख सुख में सक्रीय नहीं थे। 2019 में हिम्मत सिंह ने निर्मल सिंह को चुनाव लड़ने की सलाह दी और इस बात की गारंटी ली कि हिम्मत सिंह निर्मल सिंह के साथ बफादार सारथी की तरह रहेगा। और हिम्मत सिंह की बफादारी के चलते निर्मल सिंह को 55 हजार से अधिक वोट मिले।
हालांकि कुछ प्रभाव निर्मल सिंह का भी पुराने नग्गल हलके में है लेकिन छावनी की राजनीति के बाद निर्मल सिंह का संपर्क पुराने नग्गल हलके से टूट गया था लेकिन हिम्मत ने अम्बाला शहर विधानसभा क्षेत्र के लोगों के दिलों में जगह बनाकर अपनी मजबूती बनाई। लेकिन कल हिम्मत सिंह ने निर्मल सिंह को एक साजिशकर्त्ता बताया और कहा कि निर्मल सिंह ने उसके साथ विश्वासघात किया। हिम्मत सिंह के इस ब्यान ने निर्मल सिंह की राजनीति में ग्रहण लगा दिया। और हिम्मत सिंह के ब्यान के बाद अम्बाला शहर के लोगों का निर्मल सिह के प्रति डर बढ़ गया है। हिम्म्मत सिंह का यह कहना कि जो निर्मल सिंह मेरा नहीं हुआ वह भला अम्बाला शहर के लोगों का क्या होगा। निश्चित तौर पर निर्मल सिंह के लिए आने वाले निगम उपचुनावों में काफी परेशानियां खड़ी हो गई हैं भले ही अम्बाला शहर के लोग निर्मल सिंह या उनके समर्थकों के मुंह पर इस बात पर कोई रिएक्शन ना दे लेकिन अंदर खाते हिम्मत सिंह के ब्यान के अम्बाला शहर के लोगों का डर बढ़ गया है। यही डर निर्मल सिंह का छावनी के लोगों में है।
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