गुरदर्शन सिंह जैसे पुलिस अधिकारी खाकी को कर रहे हैं बदनाम

गुरदर्शन सिंह जैसे पुलिस अधिकारी खाकी को कर रहे हैं बदनाम

संपादकीय: अपने आप को इन्काऊंटर स्पैस्लिस्ट बताने वाले और ओआरपी रैंक के तहत एएसआई बनने वाले गुरदर्शन सिंह जो पहले अम्बाला छावनी में सीआईए स्टाफ में थे और हाल ही में उसको पंजोखरा का प्रभारी बना दिया गया। गुरदर्शन सिंह पिछल्ले कई वर्षों से अम्बाला में लगा हुआ है और गुरदर्शन सिंह कहता फिरता है कि उसने कई गंैगस्टरों को मौत के घाट नहीं उतारा इसलिए वह गैंगस्टर उसके इशारे पर कुछ भी कर सकते हैं। हालांकि यह तमाम बाते पुलिस के उच्च अधिकारियों के संज्ञान में है लेकिन समझ से परे है कि गुरदर्शन सिंह के पास ऐसी कौन सी गिदड़ सिंघी है जिसको सुंंघाकर उच्च अधिकारियों को गुमराह कर अपनी मनमर्जी की पोस्टिंग काट रहा है। गुरदर्शन सिंह पुलिस विभाग में काली भेड़ है और गुरदर्शन खाकी पहनकर मात्र खाकी को बदनाम कर रहा है। गुरदर्शन सिंह जैसे पुलिस अधिकारी पुलिस के काबिल नहीं इसको तो हरियाणा के गृह मंत्री को बर्खास्त कर मुकद्दमा दर्ज कर जेल भेज देना चाहिए। और गुरदर्शन सिंह के प्राईवेट नम्बरो की कॉल डिटेल ली जाए कि इसके संपर्क में कौन कौन लोग हैं कौन से गैंगस्टर हैं। क्योंकि गुरदर्शन सिंह ने एक कारोबारी को कहा था कि उसके पास गैंगस्टर हैं जो उसके इशारे पर कुछ भी कर सकते हैं। आखिर इस पुलिस अधिकारी को जिसके खिलाफ अदालत विभागीय कारवाई के आदेश दे चुकी है। यह अधिकारी उसके बावजूद भी हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के गृह जिला में थाना का प्रभारी लगा दिया गया। ऐसे अधिकारी समाज के लिए एक दीमक हैं जो पैसे के लालच में किसी हद तक भी गिर सकते हैं, पैसे के लालच में कोई भी साजिश रच सकते हैं, झूठा केस दर्ज कर सकते हैं, झूठी व फर्जी जांच करते हैं। गुरदर्शन सिंह जैसे अधिकारी को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर उसके पुराने फर्जी कारनामों पर मुकद्दमा दर्ज कर जेल भेजा जाए। जहां अनिल विज जैसे गृह मंत्री पुलिस की छवि को साफ कर रहे हैं आम लोगो में पुलिस का विश्वास बढ़ा रहे हैं। लेकिन वहीं गुरदर्शन सिंह जैसे अधिकारी जब थानों के प्रभार लेकर आते हैं तो आम आदमी चिंतित हो जाता है। अनिल विज को गुरदर्शन सिंह के खिलाफ तुरंत संज्ञान लेते हुए ना केवल इसे बर्खास्त करना चाहिए बल्कि इस बात की जांच होनी चहिए कि ऐसे पुलिस अधिकारियों ने खाकी का कहां कहां दुरुपयोग किया। गुरदर्शन सिंह जैसे अधिकारी थानों के प्रभारी बनने के लायक नहीं बल्कि जेल में रहने के लायक हैं।
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