कोरोना महामारी को देखते हुए किसान लें आंदोलन वापिस
वीरेश शांडिल्य की कलम से …
संपादकीय : कोरोना की दूसरी लहर फिर चल पड़ी है और दिल्ली में कोरोना से मरने वालों की गिनती सैंकड़ों तक पहुंच गई है और केंद्र सरकार ने राज्यों को कोरोना से बचाव के लिए गाईड लाईन जारी कर दी है और राज्य सरकारों ने कोरोना महामारी ना फैले इसके लिए मास्क, सोशल डिस्टैंस व सैनेटाईजर से हाथ धोने को फिर से लागू करवा दिया है। एक दिसम्बर से नाईट कर्फू का दौर फिर शुरू हो जाएगा। यहां तक मास्क ना पहनने वालों को एक हजार, दो हजार का जुर्माना शुरू हो गया है। इंडोर व आऊट डोर में 50 व 100 लोगों का कार्यक्रम ही हो सकेगा। ऐसे में बात स्पष्ट है कि दूसरी लहर पहले से ज्यादा खतरनाक है कोरोना मार्च में शुरू हुआ था उस वक्त तो गर्मी का माहौल था लेकिन सिम्टम खांसी, जुकाम, बुखार, गले में खराश आदि थे और अब तो दूसरी लहर सर्दी में आई है सर्दी वैसे ही बच्चों व बुजुर्गों के लिए खतरनाक है जरा सी ठंड के कारण जुकाम व बुखार हो जाता है छाती जकड़ी जाती है और यही सिम्टम कोरोना के हैं इसलिए यदि लोग सर्दी सर्दी कोरोना पर विजय पा गए तो भारत विश्व में कोरोना का विजेता बन जाएगा। भारत के प्रधानमंत्री पहले दिन से कह रहे हैं जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं और कोरोना की दवाई जल्द आए इसको लेकर हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अति गंभीर हैं अनिल विज ने तो खुद जनहित में कोरोना वैक्सीन का ट्रायल अपने ऊपर लिया और एशिया के पहले स्वास्थ्य मंत्री बने। कारण अनिल विज चाहते हैं कि लोगों को कोरोना से कैसे बचाया जा सके। और जिन लोगों को कोरोना हो चुका है वो भी इस गलत फहमी में ना रहे कि उन्हें कोरोना दोबारा नहीं हो सकता। अब बड़ा सुझाव केंद्र सरकार व किसानों को है कि कोरोना महामारी को देखते हुए किसान अपना आंदोलन अभी राष्टÑहित में वापिस ले लें क्योंकि जान है तो जहान है। कहीं ऐसा ना हो कि हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ के किसान दिल्ली जाकर वहां से कोरोना ले आएं और अपने बच्चों के लिए अपने परिवारों के लिए, अपने शहर के लिए, अपने जिला के लिए, अपने प्रदेश के लिए कोई बड़ी दिक्कत ना पैदा कर दें स्वास्थ ठीक रहेगा तो निश्चित तौर पर केंद्र सरकार के खिलाफ फिर लड़ाई लड़ी जा सकेगा फिर दिल्ली कूच किया जा सकेगा। दिल्ली कहीं नहीं जा रही ना 2024 तक मोदी कहीं जा रहे हैं हां यदि हम व किसान भाई दिल्ली जाकर कोरोना संक्रमित हो गए तो ये जंग कमजोर हो जाएगी और मोदी सरकार भी हठधर्मी त्यागे।