हराम का पैसा ही इंसान को करता है पथ-भ्रमित… एक बार जरूर पढ़ें
वीरेश शांडिल्य की कलम से खरी-खरी
सम्पादकीय : जो कमाई दस नौहं की होती है जिसे कीरत कमाई कहा जाता है जिसे खून-पसीने की कमाई कहा जाता है जिसे दिन-रात मेहनत कर कमाया जाता है वहीँ पैसा शांति देता है वहीँ पैसा संस्कार देता है वहीँ पैसा सदभावना देता है वही पैसा इंसानियत पैदा करता है वही पैसा अपनापन पैदा करता है जो पैसा काली कमाई होगी उसे हराम का कहा जाता है उस पैसे से आदमी भले ही स्वर्ग जैसे ऐश-ओ-आराम में रह रहा हो बड़े-बड़े बंगलों में रह रहा हो लेकिन उसे शांति नहीं मिल सकती क्योंकि शांति ईमानदारी की कमाई में होती है l रातो-रात कमाया धन या काली कमाई या हराम की कमाई हमे समाज को संतुष्टि नहीं दे सकती और जो खून-पसीने की कमाई होगी उसमे यश होगा बरकत होगी और हराम की कमाई लोगो का दिल दुखाकर की हुई कमाई व्यक्ति के लिए नर्क के दरवाजे खोलती है l ऐसी कमाई आपके व आपके परिवार के जीवन में कभी खुशियाँ लेकर नहीं आती l ऐसी कमाई जिसे हराम की ही कहा जायेगा उस कमाई से एक दिन हम न केवल पथ-भ्रमित होंगे l आवेश में आकर हिंसा का रास्ता अपनाएंगे l अय्याशी करेंगे शराब,मीट का सेवन करेंगे,वेश्यालयों पर जायेंगे और कोई ऐसी बिमारी आपको घेर लेगी जिसका इलाज कितना भी पैसा खर्च कर नहीं होगा l पैसे के अहंकार में बहुत लोग पथ-भ्रमित हो चुके है l पैसे के आगे हर आदमी को बिकाऊ समझ रहे है और ऐसे पैसे वाले लोग गलत फहमी का शिकार होकर अपने आप को समाज में सबसे शक्तिशाली समझने की भूल करने लग गए है और अपने हराम की कमाई के दम पर समाज का भाईचारा खंडित कर रहे है व एक दुसरे को समाज में लडवा रहे है और अपना उल्लू सीधा करने के लिए पैसे के दम पर किसी भी घटिया हरकत तक उतर आने वाला व्यक्ति इस समाज का हिस्सा नहीं हो सकता l नवरात्रि चल रहे हमे चाहिए कि नेक कमाई करें किसी का दिन दुखाकर कमाई न करें व एक समय नमक के साथ भी खाना पड़े तो खा ले वो व्यक्ति परमात्मा के सबसे नजदीक होता है l उस व्यक्ति को कही दान देने की जरूरत नहीं क्योंकि उसे जो कुछ मिलता है भगवान् की रहमत से मिलता है इसलिए हमे एक संकल्प लेना चाहिए कि नेक कमाई करें नेक सोच रखें उससे आपका वर्चस्व बढ़ सकता है l पुरानी कहावत है जैसे खाओ अन्न वैसा हो मन