असीम गोयल सिटी मीडिया को कानूनी सबक सिखाने के लिए अड़िग!
वीरेश शांडिल्य की कलम से
संपादकीय : अम्बाला शहर के दूसरी बार बने विधायक असीम गोयल ने पत्रकार जमात के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी करने पर सिटी मीडिया अखबार की सोच के विरुद्ध पत्रकार जगत का स्टैंड लिया। लेकिन उन पत्रकारों ने एक बड़े प्रोपर्टी कारोबारी के अनुरोध पर सिटी मीडिया के संपादक नरेंद्र भाटिया से खेद छापवाने की शर्त पर समझौता करवा दिया। लेकिन जिन पत्रकारों का स्टैंड विधायक असीम गोयल द्वारा लिया गया उन पत्रकारों ने विधायक से बात करना भी ठीक नहीं समझा जबकि पत्रकारों के साथ साथ पत्रकारों के पक्ष में विधायक भी खुलकर सामने आए। लेकिन विधायक पत्रकारों के इस कदम से खफा हैं। दोस्ती दुश्मनी जीवन का हिस्सा हैं नाराजागी जीवन का हिस्सा है लेकिन जो व्यक्ति किसी का स्टैंड ले उस व्यक्ति का भी नैतिक धर्म है कि वह उसके सम्मान को ठेस ना पहुंचने दे। नगर में यह बात चर्चा का विषय है कि नरेंद्र भाटिया की पत्रकारों के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी पर विधायक असीम गोयल ने सिटी मीडिया की खबर पर ना केवल कड़ा प्रहार किया बल्कि कई और सख्त आरोप भी सिटी मीडिया पर लगा दिए। लेकिन जब विधायक को पता चला कि चुपचाप प्रोपर्टी कारोबारी के कहने पर सभी पत्रकार एक मत होकर सिटी मीडिया के नरेंद्र भाटिया को बुलाकर उनकी गलती को माफ कर दिया।
हालांकि माफ करने वाला हमेशा बड़ा होता है शायद प्रोपर्टी कारोबारी ने भी कुछ गलत नहीं किया उसकी सोच यही थी कि साधु चलदे भले नगरियां बसदी भलीं। उसने तो दो नाराज लोगों को एक करने की पहल की शायद प्रोपर्टी कारोबारी को पत्रकारों व विधायक के स्टैंड के बारे में ना पता हो लेकिन जिन पत्रकारों की मौजूदगी में विधायक असीम गोयल ने स्टैंड लिया उन पत्रकारों से कहीं ना कहीं चूक हुई है। उन पत्रकारों को जिनमें सभी वरिष्ठ हैं, बुद्धिजीवी हैं उन पत्रकारों को समय रहते असीम गोयल से भी खेद करना चाहिए। हालांकि असीम गोयल को भी उनके एक नजदीकी पत्रकार साथी ने इस पर अपना पक्ष दिया लेकिन असीम गोयल ने उसे खारिज कर दिया और यह कहकर बात खत्म की कि उसे हनुमान व अंगद जैसे साथी चाहिएं जो स्टैंड के लिए कुछ भी कर दें। उस पत्रकार ने असीम गोयल को मौखिक खेद किया और कहा कि वह नरेंद्र भाटिया को भी माफ करें और बात को खत्म करें। और नरेंद्र भाटिया सिटी मीडिया में यह लिखेगा कि विधायक के खिलाफ पुलिस से मंथली मांगने की खबर फजी व झूठी थी लेकिन विधायक असीम गोयल ने अपने पारिवारिक पत्रकार साथी को कहा कि अब तो फैसला अदालत करेगी और असीम गोयल ने बड़ा अच्छा उदाहरण पेश किया कि इस बात की क्या गारंटी है कि सिटी मीडिया द्वारा छापे खंडन को वो लोग भी पढ़ें जिन्होंने सिटी मीडिया की यह खबर पढ़ी कि विधायक असीम गोयल से मंथली लेते हैं। कहीं ना कहीं असीम गोयल की पत्रकारों से व सिटी मीडिया से नाराजगी जायज है और नरेंद्र भाटिया स्वयं पहल करें और असीम गोयल के मानहानी केस के विचाराधीन होते हुए भी तुरंत खंडन छापे कि विधायक असीम गोयल के खिलाफ मंथली मांगने की खबर गलत थी फिर पत्रकार जगत के लोग असीम गोयल से चर्चा करें और उनकी नाराजगी भी सिर मत्थे लें। जो आदमी इतना बड़ा स्टैंड पत्रकार जमात के लिए ले रहा है उसकी नाराजगी दूर करना पत्रकार बिरादरी की भी ड्यूटी है। और यदि पत्रकार ऐसी पहल करें तो असीम गोयल को जिद्द नहीं करनी चाहिए क्योंकि झूके हुए वृक्ष ही फलदार व छायादार होते हैं।